सीओपीडी विश्व में मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। विश्व में हर वर्ष लगभग तीस लाख लोगों की मौत सीओपीडी से होती है। भारत में वर्तमान में लगभग चार करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। यदि समय रहते इलाज लिया जाए तो मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है।
शोध में यह आया सामने
श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. केके डंग ने बताया कि देश में ग्रामीण परिवेश व शहरों में सीओपीडी रोगियों की संख्या 5.6% व 11.4% है। वायु प्रदूषण भी सीओपीडी मृत्यु दर और रुग्णता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक अनुमान के अनुसार चूल्हे पर खाना पकाने और वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से देश में सालाना 9.25 लाख मौतें होती हैं। सीओपीडी में उच्चतम मृत्यु दर एक लाख में 111 राजस्थान और न्यूनतम मृत्युदर एक लाख में 18 नागालैंड में दर्ज की गई है।
यह भी पढ़ें
Mines-Industries Closed: भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला, अचानक बंद कर दी राजस्थान की 3000 माइंस-इंडस्ट्रीज, जानें वजह
निवारण
मरीज को इन्हेलर्स और नेबुलाइजर दिए जाते हैं, कई बार कुछ दवाइयां भी दी जाती हैं। इनहेलर या पंप सबसे सुरक्षित एवं कारगर उपाय हैं।लक्षण
बार-बार बलगम बनना श्वास लेने में तकलीफ लंबे समय तक खांसी रहना छाती में जकड़न रहना
कोटा मेडिकल कॉलेज के श्वांस एवं अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद जांगिड़ बताते है कि सीओपीडी सामान्यत: 40 वर्ष की उम्र में होती है, लेकिन कुछ कम उम्र के लोगों में भी देखी गई है। सीओपीडी दो तरीकों से फेफड़ों को प्रभावित करती है। पहला फेफड़ों में छोटी श्वांस नालियों की दीवारों का नष्ट करना और दूसरा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जिसमें श्वास की नालियां सूज जाती है। इससे श्वांस लेने में रुकावट होने लगती है।
यह भी पढ़ें
IMD ALERT: घने कोहरे के साथ पड़ेगी तेज सर्दी, सीजन का रहा सबसे ठंडा दिन, 15 डिग्री से नीचे पहुंचा पारा
40 की उम्र के बाद करती है बीमार
कोटा मेडिकल कॉलेज के श्वांस एवं अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद जांगिड़ बताते है कि सीओपीडी सामान्यत: 40 वर्ष की उम्र में होती है, लेकिन कुछ कम उम्र के लोगों में भी देखी गई है। सीओपीडी दो तरीकों से फेफड़ों को प्रभावित करती है। पहला फेफड़ों में छोटी श्वांस नालियों की दीवारों का नष्ट करना और दूसरा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जिसमें श्वास की नालियां सूज जाती है। इससे श्वांस लेने में रुकावट होने लगती है।
‘नो योर लंग फंक्शन’: नवंबर माह के तीसरे बुधवार यानी इस वर्ष 20 नवंबर को सीओपीडी दिवस मनाया जाएगा। इसकी थीम ‘नो योर लंग फंक्शन’ अर्थात अपने फेफड़ों की क्षमता को पहचाने है।