कोटा

4 साल सूरत-ए-हालः राजस्थान में सरकार बनने के बाद 100 में से 76 वायदे भूली भाजपा

भाजपा शिक्षा, रोजगार और खेलकूद को लेकर राजस्थान के युवाओं से किए गए 76 फीसदी वायदे तो भूल ही गई। 24 फीसदी में से भी सिर्फ 10 फीसदी पर काम हुआ।

कोटाDec 10, 2017 / 01:34 pm

​Vineet singh

Rajasthan BJP Government Evaluation of 4 year term

चुनावी वायदे नतीजों के साथ ही हवा हो जाते हैं… यकीन ना आए तो राजस्थान बीजेपी का घोषणा पत्र पढ़ लीजिए। युवाओं का वोट हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने ऐसी हाईटेक एजुकेशन का ख्वाब दिखाया था, कि आंख मूंदते ही हर तकलीफ दूर हो जाती। लेकिन, जब आंख खुली तो पता चला कि वोट की खातिर आंखों में धूल झोंकी गई थी। सत्ता मिलते ही पार्टी संकल्प भूल गई और सूबा सुराज के लिए तरस गया। रोजगार और खेलकूद के नाम पर युवाओं की भावनाओं से खिलवाड़ तो अब भी जारी है।
भाजपा भूल गई 100 में से 76 वायदे

भारतीय जनता पार्टी ने 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपने चुनावी घोषणा पत्र सुराज-संकल्प 2013 में शिक्षा के नाम पर युवाओं से 51 वायदे किए थे। वहीं युवा, रोजगार और खेलकूद की हालत सुधारने के लिए भी 49 वायदे किए गए थे, लेकिन सरकार बनाने के 4 साल बाद इन 100 वायदों में से 76 को पूरी तरह भुला दिया गया। वहीं बाकी बचे 24 वायदों में से भी सिर्फ 10 फीसदी पूरे हो सके।
नए खोलना तो दूर, पुराने भी बंद कर दिए

भाजपा ने अपने घोषणा पत्र सुराज संकल्प में वायदा किया था कि राजस्थान में सरकार बनी तो महिला, पर्यटन और शिक्षक-प्रशिक्षण विश्वविद्यालय खोले जाएंगे। 4 साल गुजरने के बाद भी भाजपा इनमें से किसी भी विश्वविद्यालय की नींव तक नहीं रख सकी है। वहीं कांग्रेस सरकार में खुले हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय बंद कर दिया। जबकि कोटा में खुले कृषि विश्वविद्यालय में अभी तक शिक्षकों की भर्तियां नहीं हो सकी हैं।
कागजों में कैद होकर रह गए आयोग

भाजपा ने वायदा किया था कि सरकार में आते ही ही सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं की मॉनीटरिंग के लिए नियामक बोर्ड के गठन किया जाएगा। इसके साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए गुणात्मक शिक्षा नियामक आयोग और युवाओं की मदद के लिए युवा आयोग का गठन किया जाएगा, लेकिन सरकार बनने के 4 साल बाद भी यह आयोग घोषणा पत्र से बाहर नहीं निकल सके। इसके साथ ही नई युवा नीति, नई शिक्षा नीति और नई रोजगार नीति अब भी अंतिम रूप दिए जाने का इंतजार कर रही हैं।
वादे हैं वादों का क्या…

इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने विद्यार्थी मित्र, शिक्षा मित्र, संविदा और अतिथि शिक्षकों की समस्याओं का अंत करने की बात कही गई थी। शिक्षकों के रिटायर होने से पहले ही खाली पद भरने की प्रक्रिया शुरू करने, प्रत्येक उपखंड पर महाविद्यालय, विश्वस्तरीय हिंदी शब्दकोश बनाने, दसवीं कक्षा के परिणाम के साथ ही जाति प्रमाण पत्र देने, सेना और सुरक्षा बलों के द्वारा अनिवार्य प्रशिक्षण दि गठित करने, कक्षा 9 से 11 तक के विद्यार्थियों कोलाने, आईआईटी इसरो, एनडीए जैसे अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संस्थानों में प्रवेश दिलाने के लिए प्रोत्साहित करने को राजस्थान मेघावी छात्र योजना शुरू करने, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी खोलने, सभी डिग्री कॉलेजों का नेक एक्रीडेशन कराने, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा को नेशनल वॉकेशनल एज्युकेशनल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क से जोडऩे, बैंको से रियायती एज्युकेशन लोन दिलाने, कॉलेसजों में काउंसलिंग सेंटर खोलने, राजस्थानी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराने का वायदा किया था। जिनमें से एक भी पूरा नहीं हो सका।
विपक्ष ने किया ऐसे पलटवार

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट भाजपा सरकार के 4 साल के कामकाज को 100 में से सिर्फ 5 अंक देते हैं। सचिन ने कहा कि स्टाफिंग पैटर्न लागू कर भाजपा सरकार ने शिक्षकों के 82 हजार पद समाप्त कर दिए हैं और लगभग 5 हजार बालिका विद्यालय बंद किए जा चुके हैं, जो भाजपा सरकार के बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ के नारे की पोल खोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पॉलीटेक्निक विद्यालयों में प्रवेश में गत वर्ष की तुलना 13 प्रतिशत की कमी आई है। भाजपा ने दावा किया था कि 10 वीं व 12 वीं कक्षा में 80 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, परन्तु भाजपा का यह दावा जुमला साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि डीजिटल इंडिया की दुहाई देने वाली भाजपा सरकार ने आज तक कम्प्यूटर शिक्षकों की भर्ती नहीं नहीं कर सकी है। विश्वविद्यालयों को योग्य कुलपति नहीं मिल रहे और आरपीएससी को चेयरमैन। ऐसे में न तो दाखिला है और ना ही भर्तियां। वह कहते हैं कि पिछले 4 साल में सब कुछ चौपट कर दिया इस सरकार ने।

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