मंगलवार सुबह करीब 6 बजे अतिक्रमण निरोधक दस्ता एवं सभी अधिकारी सिटी फोरलेन पर पहुंचे। यहां करीब चार घंटे चली कार्रवाई में चार दर्जन से अधिक अतिक्रमण हटाए गए। इससे पहले बिजली भी बंद रखी गई ताकि कोई हादसा नहीं हो। इसके बाद अधिकारियों का लवाजमा वाहनों के साथ एसआरजी चिकित्सालय के समक्ष पहुंचा। यहां सर्विसलेन बनाने में आढ़े आ रहे अतिक्रमणों को हटाया गया। इस दौरान घरों के समक्ष आ रही दीवारें, चारदीवारी एवं गार्डन को ध्वस्त कर दिया गया। शहर के गायत्री मंदिर के समक्ष कुछ व्यापारियों ने विरोध भी जताया।
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पुलिस ने किया लाठीचार्ज इस पर अधिकारियों से उनकी नोंक-झोंक भी हुई। बात बढ़ती देख पुलिस ने लाठी चार्ज किया। वहीं मौके से एक व्यापारी बसंत कासट को शांतिभंग में गिरफ्तार किया जिन्हें शाम को जमानत पर रिहा कर दिया गया। गायत्री मंदिर के समक्ष कुछ व्यापारी व आवासीय परिसर के कुछ लोग अधिकारियों से इस मसले पर बात करना चाह रहे थे लेकिन बात नहीं बनी। उधर वृदांवन गांव से भी करीब डेढ़ दर्जन चिंहित अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई की जो शाम तक चलती रही। अतिक्रमण हटाने के दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर भवानीसिंह पालावत, उपखंड अधिकारी प्रकाश चंद रैगर, आयुक्त आर.एस. चारण, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक खुशाल सिंह राजपुरोहित समेत भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा।
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कलक्टर से मिले व्यापारी, मांगा मुआवजा सिटी फोरलेन पर हटाए अतिक्रमणों के मामले में कुछ लोगों ने विरोध भी जताया। इस दौरान कुछ लोग मंगलवार दोपहर में जिला कलक्टर को ज्ञापन देने भी पहुंचे। इसमें रूपेश सोनी, रिंकेश अग्रवाल, बद्रीलाल अग्रवाल, राधारमण गांधी ने बताया कि सिटी फोरलेन पर सभी निर्माण सक्षम अधिकारी की स्वीकृति से ही बनाए गए। ऐसे में स्वामित्व वाली भूमि से हटाए अतिक्रमणों का मुआवजा दिलाया जाए। वहीं स्वयं की भूमि पर निर्माण को नहीं तोडऩे व उसकी भूमि पर कब्जा नहीं करने की मांग भी की।
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10 मीटर तक हटाया अतिक्रमण घरों से सड़क की तरफ करीब 5 से 10 मीटर तक लोगों ने अतिक्रमण कर गार्डन व पार्किंग परिसर समेत अन्य निर्माण किए हुए थे। इन निर्माणों को सावल मशीन की सहायता से हटाया गया। इस दौरान कई लोगों की चारदीवारी भी हटाई। सिटी फोरलेन के समीप बनी एक निजी होटल समेत कई मकानों के पार्किंग स्पेस व बाउंड्री को ध्वस्त किया।
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दो साल से चल रही जद्दोजहद सिटी फोरलेन के मध्य आ रहे अतिक्रमणों को हटाने के लिए करीब दो वर्ष से जद्दोजहद चल रही थी। लेकिन इस पर जिला प्रशासन ठोस निर्णय नहीं कर पा रहा था। हालांकि नगरपरिषद ने ऐसे करीब पांच दर्जन अतिक्रमणों को हटाने के लिए नोटिए थमाए थे। लेकिन इन नोटिसों का असर इन मालिकों पर नहीं हुआ। ऐसे में प्रशासन को पहल कर अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई करनी पड़ी।