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छात्रसंघ चुनावः 5 बजे तक हो जाएगा 89 छात्र नेताओं की किस्मत का फैसला ज्यादातर मामलों में लगती है एफआर महिला थाने के अधिकारियों की मानें तो हर माह में करीब 7-8 मामले दहेज प्रताडऩा के दर्ज होते हैं। झालावाड़ में पिछले आठ महीनों में ही करीब 56 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। कई बार परिजनों से जरा सी लड़ाई व कहासुनी के मामलों में भी दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज करा दिया जाता है। जिससे पूरा परिवार को जेल की हवा तक खानी पड़ती है। जबकि जांच के बाद अधिकांश मामलों में पुलिस को एफआर (अंतिम रिपोर्ट) लगती है।
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चेहरा चमकाने के लिए भाजपाइयों की धक्का-मुक्की ने ली रिटायर्ट टीचर की जान सुनवाई के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर कमेटी के गठन से दहेज प्रताडऩा एवं महिला अत्याचार से संबंधित मामलों में दूरदराज के क्षेत्रों में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई होगी। इसके चलते जिले के सुदूरवर्ती कस्बों से आने वाले लोगों को राहत मिलेगी। वहीं लीगल वेलफेयर कमेटी का अध्यक्ष न्यायाधीश होने के चलते जो मामले पहले अदालत में जाने से सुलझते थे वो अब कमेटी के माध्यम से ही सुलझ जाएंगे।
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सिपाहियों का शराब ठेके पर हंगामा, लोगों ने उतारा नशा जिला स्तर पर होगा कमेटी का गठन सभी जिलों में फैमिली वेलफेयर कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी थाना क्षेत्रों में दहेज प्रताडऩा व महिला अत्याचार से संबधित मामलों में सुनवाई करेगी। जिले में पांच थानों में एक कमेटी का गठन करने का प्रस्ताव है। प्रत्येक कमेटी में एक चेयरमैन व दो सदस्य होंगे। कमेटी के चेयरमैन न्यायाधीश होंगे। सदस्यों का चुनाव पैरालीगल वालंटियर एवं सामाजिक कार्यकर्ता सेवानिवृत्त नागरिक आदि में से किया जाएगा। कमेटी का कार्यकाल एक वर्ष का होगा। Read More: सुपर हाईटेक हुई राजस्थान पुलिस, राजस्थान में पहली बार होगा क्लाउड कंप्यूटिंग सिक्योरिटी का इस्तेमाल
अभी यह है प्रक्रिया फिलहाल इस तरह का कोई मामला सामने आने के बाद पुलिस सीधे आईपीसी की धारा 498 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज कर लेती थी। महिला को प्राथमिकी दर्ज कराने में किसी तरह के लीगल प्रूफ की जरूरत नहीं पड़ती थी। प्राथमिकी दर्ज होते ही पुलिस आरोपित परिजनों को गिरफ्तार कर जेल भेज देती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। झालावाड के पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नई व्यवस्था लागू की गई है। जिसकी गाइड लाइन आते ही पूरे राजस्थान में इसे लागू कर दिया जाएगा।
अभी यह है प्रक्रिया फिलहाल इस तरह का कोई मामला सामने आने के बाद पुलिस सीधे आईपीसी की धारा 498 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज कर लेती थी। महिला को प्राथमिकी दर्ज कराने में किसी तरह के लीगल प्रूफ की जरूरत नहीं पड़ती थी। प्राथमिकी दर्ज होते ही पुलिस आरोपित परिजनों को गिरफ्तार कर जेल भेज देती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। झालावाड के पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नई व्यवस्था लागू की गई है। जिसकी गाइड लाइन आते ही पूरे राजस्थान में इसे लागू कर दिया जाएगा।