जानिए… भारत का भविष्य है यह गोवंश, जिसे आप सड़क पर दुत्कारते हैं
कई साल तक चले डॉ. चौबीसा के शोध में साबित हुआ कि कोटा थर्मल पॉवर प्लांट से निकलने वाला धुआं लोगों की हड्डियों को खोखला बना रहा है। इस धुएं से न सिर्फ दांत और हड्डियां टेड़ी हो रही हैं, बल्कि शरीर के अन्य नाजुक अंग भी विकृत हो रहे।
शोध के दौरान पता चला कि थर्मल प्लांट में इस्तेमाल होने वाले पत्थर के कोयले के जलने पर फ्लोराइड का उत्सर्जन हो रहा है। फ्लोराइडयुक्त धुआं न केवल वायुमंडल, बल्कि आसपास की मिट्टी, जलस्त्रोतों, पेड़ पौधों और फसलों को भी दूषित कर रहा। लंबे समय तक धुएं के संपर्क में रहने वाले लोग फ्लोरोसिस के शिकार हो रहे। डॉ. चौबीसा ने इसे नाइबरहुड फ्लोरोसिस नाम दिया।
नौकरी के लिए घर से निकला युवक ने दोस्त के घर जाकर लगाया मौत का फंदा
नहीं जांच का कोई इंतजाम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने वर्ष 1998 में इंडस्ट्रीयल फ्लोराइड उत्सर्जन की अधिकतम सीमा 25 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तय की, लेकिन कोटा थर्मल की चिमनियों के दायरे में आने वाले इलाके में यह साल के 7 महीने इस तय मापदंड से दुगुनी से भी ज्यादा हो जाती है। वहीं डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पेयजल और हवा में फ्लोराइड की अधिकतम मात्रा 1 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) तय है, यह भी बढ़कर 2 से 2.5 पीपीएम तक पहुंच जाती है। डॉ. चौबीसा बताते हैं कि स्थिति इतनी गंभीर होने के बावजूद सरकारी स्तर पर कोटा थर्मल के धुएं में फ्लोराइड उत्सर्जन की नियमित जांच के कोई इंतजाम ही नहीं हैं।
युवक को पहले चाकू-तलवारों से काटा, दम नहीं निकला तो गंडासे से सिर फोड़ा, हत्यारों का तांडव देख सन रह गया कोटा
नाइबरहुड फ्लोरोसिस: समझिये असर और निदान
शिकायत एेसी… आंखों में जलन, सूजन और लालपन त्वचा में रुखापन और खिंचाव जोड़ों में दर्द, हड्डियां कमजोर और टेढ़ी होने लगती हैं सांस की बीमारियां, दमे जैसा अटैक
सर्दियों और सुबह के समय सांस में तकलीफ
नाइबरहुड फ्लोरोसिस से बचने के लिए विटामिन सी एंटी डोज का काम करती है विटामिन सी युक्त चीजों आंवला, संतरा और नींबू का सेवन बढ़ाएं
हरी और पत्तेदार सब्जियां, दूध और दही का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें