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कोटा

और फिर जी उठा कोटा का 100 साल पुराना इतिहास

कोटा हेरिटेज व हाड़ौती नैचुरलिस्ट सोसायटी की पहल पर आयोजित फोटोग्राफी प्रदर्शनी को देखने आए पूर्व राजपरिवार के सदस्य बृजराज सिंह और इज्यराज सिंह।

कोटाOct 03, 2017 / 01:45 pm

ritu shrivastav

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फोटोग्राफी प्रदर्शनी

कोटा हेरिटेज सोसायटी व हाड़ौती नैचुरलिस्ट सोसायटी की ओर से कलादीर्घा में चल रही फोटोग्राफी प्रदर्शनी के दूसरे दिन भी शहर के लोग पुराने चित्रों में खोए रहे। यहां सोमवार को कोटा के पूर्व राजपरिवार के सदस्य बृजराज सिंह और इज्यराज सिंह पहुंचे। पुराने फोटो देखने के बाद उन्होंने कलेक्शन को बेहतर बताया और कुछ चित्रों की तारीफ की। प्रदर्शनी में शामिल सौ साल पुराने चित्रों में पूर्व राजपविार के सदस्य बृजराज सिंह ने रुचि दिखाई। चित्रों का अवलोकन करते हुए चम्बल नदी में उतरते हवाई जहाज, कोटा बैराज से लिए गए गढ़ पैलेस के फोटो और दशहरा मेले के फोटो को गौर से देखा। उन्होंने कहा कि यह अच्छा प्रयास है। परिन्दों के भी अच्छे फोटोग्राफ हैं।
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बदलवाया कैप्शन

अवलोकन के दौरान राजनिवास बीकानेर में 1930 में आयोजित वैवाहिक भोज के दौरान लिए गए फोटो पर बृजराज सिंह रुक गए। उन्होंने फोटो में खड़े लोगों को गौर से देखा। यहां पहली पंक्ति में खड़े लोगों के नाम सही थे, लेकिन दूसरी पंक्ति में खड़े लोगों के नाम गलत लिखे हुए थे। इस पर उन्होंने कोटा हैरिटेज सोसायटी की विक्टोरिया सिंह को टोका और कैप्शन सही करने की बात कही। इसके बाद सभी के नाम लिखवाए।
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टाइगर की बात

शाम को दो व्याख्यान हुए। पहला मुकुंदरा में टाइगर के रिलोकेशन पर वन्यजीव विशेषज्ञ उर्वशी शर्मा का हुआ। उर्वशी ने रिलोकेशन के लिए की जा रही तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टाइगर के इस क्षेत्र में लाने का अर्थ है पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए काम करना, क्योंकि टाइगर अपनी टेरेटरी बनाता और इस क्षेत्र में मानवीय दखल खत्म सा हो जाता है। ऐसे में जंगल और जीव सभी अप्रत्यक्षरूप से सुरक्षित रहते हैं।
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जलमानुष पर खतरा

द्वितीय व्याख्यान औटर पर हुआ। जलमानुष कहलाने वाले इस जीव पर स्लाइड शो के जरिए प्रजेन्टेशन दिया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि चम्बल की अपस्ट्रीम में 16, जवाहर सागर में 4 और गांधीसागर में इसकी गणना का पता नहीं है। आरएस तौमर ने बताया कि यह जीव शर्मिला है। मनुष्य या अन्य किसी जीव के सामने आने पर उसके बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है। इनकी संख्या में लगातार कमी आती जा रही है। प्रदर्शनी 4 अक्टूबर तक जारी रहेगी।
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फिर बोले बिगाड़ दिया मेले का स्वरूप

प्रदर्शनी में दशहरा मेले का फोटो देखने के बाद एक बार फिर बृजराज सिंह ने कोटा शहर और दशहरा मेले के बिगड़ते स्वरूप पर टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि पहले कोटा खूबसूरत था। चित्रों में कितना अच्छा नजर आ रहा है। अभी लगातार निर्माण कार्य से सूरत बिगड़ती जा रही है। दशहरा मेला कितना खुला और कितने बड़े क्षेत्र में फैला हुआ नजर आ रहा है। अभी उसे बंद किया जा रहा है। यदि कभी रावण दहन के दौरान कोई चिंगारी लोगों पर गिर गई तो बड़ा हादसा हो सकता है। राजनेताओं के कमीशन के चक्कर में ही निर्माण कार्य होते जा रहे हैं। बड़ी सोच की कमी है।

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