कर दिया। परिजनों ने झालावाड़ व कोटा के निजी अस्पताल में उपचार कराया लेकिन फायदा नहीं हुआ। तब वे उसे कोटा जेके लोन अस्पताल लाए। यहां पता चला कि बच्चा दुर्लभ जीबी सिण्ड्रोम से ग्रस्त है। इसके खतनाक वायरस ने शरीर की नसों को निष्क्रिय कर उसे लकवाग्रस्त कर दिया।
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लग चुके हैं एक लाख रुपए के इंजेक्शन जेके लोन के अधीक्षक डॉ. आरके गुलाटी ने बताया कि बच्चे का श्वसन तंत्र भी लकवाग्रस्त हो गई थी। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। एेसे में बच्चे को इम्यूनोग्लोबिन के महंगे इंजेक्शन लगाए। बच्चे के एक लाख रुपए कीमत के छह-सात इंजेक्शन लगे। डॉ. गुलाटी के साथ ही डॉ. गोपीकिशन शर्मा ने बच्चे का उपचार किया।
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दो साल में आए 35 केस चिंता की बात यह कि इस गंभीर बीमारी के पिछले दो साल में अकेले जेकेलोन अस्पताल में 35 केस सामने आए हैं। इनमें से सिर्फ 25 लोगों को ही बचाया जा सका। सूत्रों ने बताया पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी इसके रोगी सामने आ रहे हैं। विकास के मामा मदन ने बताया कि 29 सितंबर को जेके लोन लेकर आए थे। हालत देखकर उन्होंने विकास के ठीक होने की उम्मीद ही छोड़ दी थी।
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क्या है जीबी सिंड्रॉम डॉ. गुलाटी ने बताया कि यह दुर्लभ बीमारी जीबीएस ज्यादातर मौसम परिवर्तन के दौरान बुखार, उल्टी-दस्त या वायरल इंफेक्शन होने और वायरस शरीर में रह जाने से होती है। यह वायरस शरीर के टिश्यू के दुश्मन बन जाते हैं। रोगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। धीरे-धीरे सभी नसें कमजोर होकर लकवाग्रस्त हो जाती हैं। समय से पूरा इलाज होने पर मरीज ठीक हो जाता है। डॉ. गुलाटी ने बताया कि यह बीमारी लाख में से एक व्यक्ति को होती है। इसमें भी पुरुष-महिला का अनुपात भी 1ः4 रहता है। इसमें 22 प्रतिशत रोगी लकवाग्रस्त हो जाते हैं।