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चौधरी ने पत्र में लिखा कि राज्य सरकार की कार्य प्रणाली से जनता असंतुष्ट है। इस हार का उन्हें पहले से ही आभास था। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी संगठन को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है। प्रदेशाध्यक्ष की कार्यशैली से कार्यकर्ता हैरान हैं। सरकार ब्यूरोक्रेसी के चक्रव्यूह में फंस ऐसे रास्ते पर चल पड़ी कि हार के सिवाय कुछ हासिल हो भी नहीं सकता। संगठन कार्यकर्ताओं में पार्टी और सरकार के प्रति आक्रोश है। प्रदेश में आमजन, कर्मचारी और संपूर्ण वर्ग सरकार से नाराज है।
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भाजपा ने ही हराया भाजपा को
पत्र में चौधरी ने लिखा कि भाजपा को राजस्थान में भाजपा ने ही हराया है। कार्यकर्ता अब नेतृत्व परिवर्तन चाहता है। अजमेर , अलवर और मांडलगढ़ में हार के बाद अब सरकार की मुखिया और प्रदेशाध्यक्ष को तत्काल बदल देना चाहिए, ताकि विधानसभा चुनावों का नई ऊर्जा के साथ सामना किया जा सके।
भ्रष्टाचार, अराजकता और सरकारी अकड़ पड़ी भारी
राजस्थान में उपचुनाव परिणामों में। जनता का निर्णय सरकार के अहंकार पर भारी पड़ा। हालात यह रहे कि एक विधानसभा और 2 लोकसभा (17 विधानसभा क्षेत्र) में भाजपा का सफाया हो गया। कारण कई थे लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि भाजपा का साथ इस बार अपनों ने भी नहीं दिया। भाजपा कुल 2,93,886 वोटों से हारी।
राजस्थान में उपचुनाव परिणामों में। जनता का निर्णय सरकार के अहंकार पर भारी पड़ा। हालात यह रहे कि एक विधानसभा और 2 लोकसभा (17 विधानसभा क्षेत्र) में भाजपा का सफाया हो गया। कारण कई थे लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि भाजपा का साथ इस बार अपनों ने भी नहीं दिया। भाजपा कुल 2,93,886 वोटों से हारी।