कोटा

सरकार के घर में ही नहीं है उच्च चिकित्सा सुविधा, भटक रहे गंभीर मरीज

पिछले राज्य बजट में कोटा में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के प्रयासों की सजाई गई झांकी अब भी कागजों से बाहर नहीं निकली है।

कोटाFeb 08, 2018 / 03:04 pm

​Zuber Khan

कोटा . पिछले राज्य बजट में कोटा में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के प्रयासों की सजाई गई झांकी अब भी कागजों से बाहर नहीं निकली है। एक भी घोषित काम धरातल पर नहीं उतरा। बढ़ते आपीडी से पैदा हो रही समस्याओं के निदान और गुर्दा रोगियों की बेहतरी के लिए मेडिकल कॉलेज नए अस्पताल को दिलाए गए दिलासे अब तक कागजी हैं।
 

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पिछले राज्य बजट में नए अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में करीब 40 करोड़ की घोषणा की थी। इसमें द्वितीय तल का निर्माण, गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा विकसित करना बड़ी घोषणाएं थी। लेकिन वाहवाही लूटने के बाद एक भी घोषणा ने अमलीजामा नहीं पहना। साथ ही संभाग स्तरीय बहुद्देश्यीय पशु चिकित्सालयों में कलर डोपलर व आधुनिक रोग निदान उपकरणों की सुविधा भी नहीं मिली।
 

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धरातल पर नहीं उतरी

सरकार ने 15 बेड की किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के लिए 8 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। यूरोलॉजी व नेफ्रोलॉजी विभाग के अधीन संचालित होने वाली इस यूनिट में 3 करोड़ रुपए से दो मोड्यूलर ओटी बनने हैं। किडनी ट्रांसप्लांट में एचएलए टाइपिंग (ह्मयूमन लाइकोसाइज एंटीजन) से क्रॉस मेचिंग करानी पड़ती है। मरीज व डोनर दोनों के टिश्यू क्रॉस मेच होने पर ही ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसके लिए भी सवा करोड़ की लेब स्थापित होगी। साथ ही, ट्रांसप्लांट आईसीयू, वार्ड और डायलिसिस मशीनें स्थापित होंगी। ट्रांसप्लांट में उपयोगी उपकरणों के लिए 2 करोड़ की खरीद भी होगी। लेकिन हकीकत यह कि सिर्फ इन्फ्र ास्ट्रक्चर के लिए 1 करोड़ 85 लाख की निविदा जारी हुई है। काम कुछ शुरू नहीं हुआ।
 

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नहीं पा सके दूसरी मंजिल

कुछ सालों से ओपीडी में भारी भीड़ की समस्या से जूझ रहे नए अस्पताल में द्वितीय तल निर्माण भी सपना ही बना रहा। इसके लिए पिछले बजट में 29.38 करोड़ की घोषणा तो हुई, लेकिन साल गुजर गया, काम शुरू नहीं हुआ। यहां औसत ओपीडी 2 हजार तथा बीमारियों के सीजन में यह 3 हजार के ऊपर निकल जाती है। कई वार्डों में एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती करना पड़ता है। शिशु वार्ड की हालत तो डेंगू के कहर के वक्त दयनीय हो गई। एक बेड पर दो-तीन बच्चे तक रखे गए। अस्पताल प्रशासन ने इसका पूरा प्लान बनाकर व राशि पीडब्ल्यूडी के खाते में सबमिट कर दी है, लेकिन आज तक इसका काम शुरू नहीं हुआ।
 

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कलर डोपलर मशीन
न बजट आया और न मशीनें
संभाग स्तरीय बहुद्देशीय पशु चिकित्सालयों में कलर डोपलर व आधुनिक रोग निदान उपकरणों की सुविधा उपलब्ध कराई जानी थी, लेकिन पूरा साल गुजर जाने के बावजूद इनमें न कलर डोपलर मशीनें आई व अन्य उपकरणों की खरीद के लिए कोई बजट। घोषणाएं कागजों में ही रह गई।

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