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मृत पड़े उपकरण जिस दस बेड के आईसीयू में 12 में से 9 एसी, 10 में से 5 मॉनिटरिंग सिस्टम और 10 में 7 वेंटीलेटर नाकारा, ऑक्सीजन पाइंट में लीकेज हों, यानी 65 फीसदी उपकरण मृत हों, वहां किसी को जीवनदान की उम्मीद ईश्वर के आसरे ही है। ढाई साल से इस मसले पर सो रहे अस्पताल प्रशासन की नींद एक होनहार आईआईटीयन की सांसें थमने के बाद टूटी और अब दो दिन में सारे उपकरण दुरुस्त कराने का दम भरा है। चैतन्य की जीवन डोर टूटने से सामने आई नए अस्पताल के आईसीयू की अव्यवस्थाओं की तह में शुक्रवार को राजस्थान पत्रिका ने झांका तो झकझोरने वाले खुलासे हुए। यह भी पढ़ें
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वेंटीलेटर बदले, पर काम नहीं जानकारी के अनुसार, चैतन्य को बचाने के लिए आईसीयू में तीन बार वेन्टीलेटर बदले गए, लेकिन एक ने भी काम नहीं किया। आखिर चैतन्य की हालत गंभीर होती चली गई। नाम न छापने की शर्त पर स्टाफ ने बताया कि आईसीयू में कई बार मरीजों की जान सांसत में आ चुकी है, लेकिन, कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यह भी पढ़ें
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कागज ही चलते रहे हैं आईसीयू में उपकरण को ठीक कराने के लिए दो साल से अधिक से वर्तमान और पूर्व विभागाध्यक्षों ने अधीक्षकों को डेढ़ दर्जन से ज्यादा पत्र लिखे। इस अवधि में डॉ. चन्द्रशेखर सुशील, डॉ. एसआर मीणा और वर्तमान अधीक्षक देवेन्द्र विजयवर्गीय पदासीन रहे, लेकिन अधीक्षक बदलने के साथ ही योजनाएं ठंडे बस्ती में चली गई। यह भी पढ़ें