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राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस विशेष: युवाओं में बर्थडे व एनिवर्सरी पर रक्तदान का बढ़ रहा ट्रेंड

बर्थडे व एनिवर्सरी पर रक्तदान करते युवा

कोटाOct 01, 2024 / 01:12 pm

Abhishek Gupta

स्वैच्छिक रक्तदान के क्षेत्र में राजस्थान में आज भी कोटा अव्वल है। कोटा में 80 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होता

kota news: स्वैच्छिक रक्तदान के क्षेत्र में राजस्थान में आज भी कोटा अव्वल है। कोटा में 80 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होता है। कोटा में रक्तदान को लेकर काफी जागरुकता आई है, लेकिन अभी और चेतना जाग्रत करने की आवश्यकता है। विदेश की तर्ज पर यहां भी रक्तदान करने के लिए लोग स्वत: ही ब्लड बैंक पहुंच रहे हैं और यह परिपाठी कोटा में शुरू हो गई है, जब लोग आफिस जाने से पूर्व या आफिस से छुट्टी होने के बाद रक्तदान करते हैं। इसके अलावा युवाओं में एक नया बदलाव भी देखने को मिल रहा है। वे अपने जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ और अपनों की याद में पुण्यतिथि पर रक्तदान करते है। कोटा शहर में 2 सरकारी व 9 निजी ब्लड बैंक है। कुल 11 ब्लड बैंक है। इनमें हर वर्ष 70 से 80 हजार यूनिट रक्तदान होता है। इनकी ही खत्म भी हो जाती है। हालांकि गर्मी के दिनों रिप्लसमेंट डोनर की कमी आ जाती है। स्वैच्छिक रक्तदान को लेकर लोगों में जागरुकता आए, भ्रांतियां दूर हो और नई सकारात्मक नीतियां सरकार लाए ताकि शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान संभव हो सके, इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर को मनाया जाता है। पत्रिका ने कुछ चुनिंदा लोगों से बात की, जो इंसानियत की भावना लेकर रक्तदान करते है।
शारीरिक दुर्बलता आड़े नहीं आती

महावीर नगर निवासी दिव्यांग कमलेश विजय 1998 से वे रक्तदान कर रहे है। अब तक 35 बार रक्तदान कर चुके है। उनका मानना है कि रक्तदान के लिए किसी प्रकार की शारीरिक दुर्बलता आड़े नहीं आती है। आत्मविश्वास व इंसानियत का जज्बा होना चाहिए।
दृष्टिबाधित राजेश कर चुके 45 बार रक्तदान
तलवंडी निवासी दृष्टिबाधित राजेश गौतम करीब 45 बार रक्तदान कर चुके है। उनका मानना है कि रक्तदान को लेकर समाज में जागरूकता आए। मानवता के नाते लोगों की सेवा हो सके और लोगों का जीवन बच सके। यहीं उनका उद्देश्य है।
वैवाहिक वर्षगांठ पर करते रक्तदान
अतुल विजय व पत्नी हेमा विजय वर्ष में दो बार रक्तदान करने की परम्परा को वर्षों से निभा रहे है। वैवाहिक वर्षगांठ पर रक्तदान करना नहीं भूलते है। अतुल डीसीएम कंपनी में कार्यरत है, और हेमा गृहिणी है। अब तक वे 13 बार जोड़े से रक्तदान कर चुके है।
जन्मदिन पर करती रक्तदान
जवाहर नगर निवासी रिचा कर्मचंदानी अपने जन्मदिन पर 11 बार रक्तदान कर चुकी है। पति हरिश कर्मचंदानी की प्रेरणा से वह रक्तदान करती है। उनका मनना है कि परिवार में रक्तदान के सेवा के संस्कार बड़ों से ही मिलते है। इससे अगली पीढ़ी में भी सेवा का पोषण होता है।
यह नहीं कर सकते रक्तदान
हार्ट अटैक, हिमोग्लोबिन 12 से कम होना, 18 वर्ष से कम आयु वर्ग, डायबिटिज, बीपी, स्किन डिजिज, अस्थमा अटैक या किसी ऑपरेशन से गुजरा हो।

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