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न्हाण के परम्परागत संगीत बोल शंकर्या रे, नगीनों म्हारों घुम ग्यों रे जैसे लोकगीत सिर्फ बैंडबाजे तक सीमित रहे। देर शाम साढ़े पांच बजे नावघाट क्षेत्र से शुरू हुई बादशाह की सवारी पुराना बाजार, खाड़ा, गढ़ चौक होते हुए लक्ष्मीनाथ के चौक में पहुंची। नावघाट से खाड़े तक जगह-जगह मकानों व दुकानों की छतें लोगों से ठसाठस भरी नजर आई।