भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक मोहम्मद केके ने चंद्रेसल मठ के जीणोद्धार में हुई लापरवाही को बहुत बड़ी गलती बताया है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बरसौर एवं समलूर मंदिरों और मध्यप्रदेश में बटेश्वर में जमींदोज हो चुके 108 मंदिरों की श्रंखला को कई साल की मेहनत के बाद मूल स्वरूप में वापस लौटाने वाले देश के प्रख्यात पुरातत्वविद ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि राजस्थान पुरातत्व विभाग के अफसरों को मठ के जीर्णोद्धार का काम शुरू करने से पहले ट्रिपल डॉक्यूमेंटेशन करना चाहिए था।
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सबसे पहले करते डॉक्यूमेंटशन प्रथम चरण में काम शुरू करने से पहले मठ में मौजूद पुरा संपदाओं का लिखित रिकॉर्ड तैयार करने के साथ ही उनकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करानी चाहिए थी। दूसरे चरण में मु य शिव मंदिर की लाइन ड्राइंग तैयार की जानी चाहिए थी और तीसरे चरण में सभामंडप के पत्थर एक-एक कर नीचे उतारे जाते। इन पत्थरों को उतारते समय भी जिस दिशा का पत्थर है उस दिशा और उतारने के क्रम के अनुसार नंबरिंग कर उसी दिशा में रखा जाना चाहिए था। Read More : हाथ पर हाथ धरे बैठा रह गया पुरातत्व विभाग, चोरी हो गई 1100 साल पुरानी मूर्तियां इतना ही नहीं साउथ का पत्थर उतारते समय उस पर एस-1, नॉर्थ में एन-1, वेस्ट में डब्ल्यू-1 और ईस्ट में ई-1 आदि क्रमानुसार अमिट स्याही से नंबर भी डालना बेहद जरूरी था। यूं सुधार सकते हैं गलती मोह मद केके कहते हैं कि जो गलती हो चुकी है उसे भुलाया तो नहीं जा सकता, लेकिन सुधारा जरूर जा सकता है। इसके लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वह मठ के पुराने फोटो इकट्ठा करें और उन्हें देखकर निर्माण की बारीकिया समझें और पत्थरों के लगाने का क्रम तय करें।
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इसके लिए बेहद गंभीर और प्रशिक्षित लोगों को साथ में लेना होगा, ताकि मंदिर को मूल स्वरूप में वापस लाने की कोशिश की जा सके। हालांकि यह बेहद मुश्किल और लंबे समय तक चलने वाला काम होगा।
इसके लिए बेहद गंभीर और प्रशिक्षित लोगों को साथ में लेना होगा, ताकि मंदिर को मूल स्वरूप में वापस लाने की कोशिश की जा सके। हालांकि यह बेहद मुश्किल और लंबे समय तक चलने वाला काम होगा।