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की धूम, सूटबूट में खिले चेहरे, मदद कर मनाया क्रिसमस का त्यौहारबेटियों की सफलता से बढ़ा हौसला
व्याख्याता शमसुन निसा ने बताया कि तंगहाली व फीस जमा नहीं करवा पाने पर मासूम की आंखों में समाज में अपना वजूद खोने का डर, चेहरे पर लाचारी व बहते आंसू देख कलेजा मुंह को आ गया। उसी वक्त ठान लिया, कुछ भी हो मासूमों को तालीम से दूर नहीं होने दूंगी। बेटियों की सफलता देख हौसला बढ़ गया। अब यही प्रयास रहता है कि कोई बेटी पैसों के अभाव में पढ़ाई नहीं छोड़े।
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पिता से मिली प्रेरणा
निसा 25 साल से छात्राओं की शिक्षा से टूटी डोर जोड़ रही है। उन्हें इसकी प्रेरणा अपने पिता अब्दुल हनीफ से मिली है। वे बताती हैं पिता भी शिक्षक थे और वह भी स्कूलों में बच्चों की मदद किया करते थे। हमें यही सीख देते आज हम इनकी मदद करेंगे तो यह बच्चे बुलंदियों को छू लेंगे। उनकी एक बात हमेशा याद रहती है, प्रतिभाशाली विद्यार्थी अभावों से जूझ सकते हैं लेकिन टूट नहीं सकते।
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फैमिली फीलिंग : सब उठाएं ऐसी जिम्मेदारी
निसा के पति डिप्टी चीफ इंजीनियर जाकिर हुसैन ने बताया कि शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने और सहयोग से बढ़कर कोई पुण्य नहीं। ईश्वर ने दिया है तो इसका कुछ भाग अच्छाई में लगाना चाहिए। उन्होंने जिनकी फीस जमा करवाई, वे शिक्षक बनकर घर आईं तो काफी खुशी मिली। इस्लाम भी यही पैगाम देता है। हर इंसान ऐसे बच्चों का जिम्मा उठाए तो कोई बेटी अशिक्षित नहीं रहेगी।