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gandhi jayanti 2018: गांधी जी की अस्थियां विसर्जित करने के लिए कोटा के चम्बल घाट पर उमड़ पड़े थे लाखों लोग

कोटा में महात्मा गांधी की अस्थियां नाव से चंबल की बीच धारा में प्रवाहित की गईं थी। इस दिन यहां पैर रखने के लिए जगह नहीं थी।

कोटाOct 02, 2018 / 08:35 pm

​Vineet singh

gandhi jayanti 2017: गांधी जी की अस्थियां विसर्जित करने के लिए कोटा के चम्बल घाट पर उमड़ पड़े थे लाखों लोग

12 फरवरी 1948 के दिन शाम 3 बजे महात्मा गांधी की अस्थियां नाव से चंबल की बीच धारा में प्रवाहित की गईं। इस दौरान कोटा के पूर्व महाराव भीम सिंह के अलावा हजारों लोग भी घाट पर मौजूद थे। उस दिन कोटा में हालात ये हो गई कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची। उस दिन शहर में दुकानें तक नहीं खुली थीं। विसर्जन से पहले रामपुरा घाट पर आधे घंटे तक कलश को दर्शनार्थ रखा गया। इसकी याद में तत्कालीन होम मिनिस्टर राजचंद्र सेना ने यहां शिलालेख स्थापित करवाया था।
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दिल्ली से आठ लोग लाए थे अस्थि कलश

 

इतिहासकार प्रो. जगत नारायण श्रीवास्तव बताते हैं कि बापू की अस्थियां पूरे देश में विसर्जित करवाई गईं थी। राजस्थान में प्रवाहित होने वाली चम्बल नदी में अस्थियां विसर्जित करने की जिम्मेदारी गांधी जी के बेटे देवदास ने केसरी सिंह बारहठ के परिवार को सौंपी। दिल्ली से अस्थियां कोटा लाने की जिम्मेदारी राज लक्ष्मी और नगेंद्र बाला को सौंपी गई। 18-19 साल की इन दोनों बहनों के साथ आठ लोग अस्थियां लेने फ्रंटियर मेल से दिल्ली पहुंचे। अस्थियों को कोटा लाने के बाद रामपुरा स्थित महात्मा गांधी स्कूल के ऊपरी झरोखे पर लोगों के दर्शन के लिए बापू की तस्वीर के साथ रखा दिया।
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अंतिम दर्शन को उमड़ी हजारों की भीड़

गांधी जी की अस्थियां कोटा आने के बाद रात भर कीर्तन-रामधुन के बीच लोगों का आवागमन होता रहा। दूसरे दिन भी हजारों लोगों का तांता लगा रहा। शाम को बापू की तस्वीर के साथ अस्थि कलश चंबल तट स्थित छोटी समाध पर जुलूस के रूप में लाया गया। य़हां भी पूरा शहर इसमें उमड़ पड़ा था। इसमें छोटे-छोटे बच्चों से लेकर महिला, पुरुष, युवक-युवतियां तक शामिल थे। रामपुरा इलाके में हालात ये हो गई कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची। उस दिन शहर में दुकानें नहीं खुली। घाट पर भी आधे घंटे तक कलश को दर्शनार्थ रखा गया। 12 फरवरी 1948 के दिन शाम 3 बजे महात्मा गांधी की अस्थियां नाव से चंबल की बीच धारा में प्रवाहित की गईं। इस दौरान कोटा के पूर्व महाराव भीम सिंह के अलावा हजारों लोग भी घाट पर मौजूद थे। इसकी याद में तत्कालीन होम मिनिस्टर राजचंद्र सेना ने यहां शिलालेख स्थापित करवाया था।
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डॉक विभाग जारी कर चुका है लिफाफा

30 जनवरी 2015 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अस्थि विसर्जन स्थल छोटी समाध पर डाक विभाग ने लिफाफे का विमोचन किया। इसमें समाध स्थल पर स्थापित स्मृति शिलालेख दिखाया गया है। इस लिफाफे का विमोचन चीफ पोस्टमास्टर जनरल लेफ्टीनेंट कर्नल डीकेएस चौहान ने कोटा आकर किया था।

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