पत्रिका टीम ने थोक फल सब्जीमंडी के व्यापारियों से आम पकाने के तरीके के बारे में पूछा तो पहले तो बताया कि ये तो प्राकृतिक रूप से पके हुए हैं। इसके बाद गोपनीय तरीके से पत्रिका टीम गोदामों तक पहुंची तो पाया कि फलों के बीच छोटी-छोटी पुड़िया रखी हुई थी, पास में जाकर देखा तो कैमिकल से भरी पुडिया थी। चीन से निर्मित कैमिकल की इन पुड़ियाओं पर बहुत ही बारीक अक्षरों में लिखा था कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है, इसलिए बच्चों की पहुंच से दूर रखें। व्यापारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि नेचुरल रूप में फल को पकने में काफी समय लगता है। ऐसे में मोटे मुनाफे के लिए रसायनों का उपयोग करते हैं, जिनमें एथलीन गैस, कार्बाइड और इथ्रेल-39 नामक रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
2 रुपए की पुड़िया से पकाते हैं फल
व्यापारियों ने बताया कि आजकल चायनीज कैमिकल की पुड़िया जिसमें ऑरेंज राइप (एथलीन रिपेनर) नाम का रसायन भरा होता है, जिसे आम भाषा में चायनीज कारपेट या चीनी की पुड़िया नाम से भी जानते हैं। यह पुड़िया 2 रुपए में मिलती है। टोकरी या कैरिट में आम, चीकू व पपीता भरकर उसमें एक या दो पुड़िया एथलीन रिपेनर की रख देते हैं। यह पुड़िया दो-तीन दिन में फलों को पका देती है। शहर में बिकने वाला फल व्यापारी डालपक कहकर बेचते हैं, जबकि यह कैमिकल से ही पके होते हैं।
व्यापारियों ने बताया कि आजकल चायनीज कैमिकल की पुड़िया जिसमें ऑरेंज राइप (एथलीन रिपेनर) नाम का रसायन भरा होता है, जिसे आम भाषा में चायनीज कारपेट या चीनी की पुड़िया नाम से भी जानते हैं। यह पुड़िया 2 रुपए में मिलती है। टोकरी या कैरिट में आम, चीकू व पपीता भरकर उसमें एक या दो पुड़िया एथलीन रिपेनर की रख देते हैं। यह पुड़िया दो-तीन दिन में फलों को पका देती है। शहर में बिकने वाला फल व्यापारी डालपक कहकर बेचते हैं, जबकि यह कैमिकल से ही पके होते हैं।
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व्यापारियों के अनुसार आजकल केले गोदामों में कैरेट में भरकर गोदाम में रख देते हैं और गोदाम का टेम्प्रेचर 17 से 18 मैंटेन रखा जाता है। इसके बाद गोदाम में रखे केले के कैरेटों पर एथलीन गैस का स्प्रे कर देते हैं। छोटे व्यापारी एथलीन रिपेनर नाम के रसायन से भी केले पका रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि रसायन से कोटा में ही नहीं पूरे देश मेें फल पकाए जा रहे हैं।
व्यापारियों के अनुसार आजकल केले गोदामों में कैरेट में भरकर गोदाम में रख देते हैं और गोदाम का टेम्प्रेचर 17 से 18 मैंटेन रखा जाता है। इसके बाद गोदाम में रखे केले के कैरेटों पर एथलीन गैस का स्प्रे कर देते हैं। छोटे व्यापारी एथलीन रिपेनर नाम के रसायन से भी केले पका रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि रसायन से कोटा में ही नहीं पूरे देश मेें फल पकाए जा रहे हैं।
टॉपिक एक्सपर्ट : फलों को खाने से पहले पानी में रखें
रसायनों का शरीर पर कई तरह से नुकसान होता है। जो पेट के जरिए दिमाग से लेकर शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकते हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा भी पैदा होता है। फल हों या सब्जी, कुछ देर के लिए पानी में रखनी चाहिए। यह प्रक्रिया दो से तीन बार करें। इसके बाद ही इनका सेवन करें।
रसायनों का शरीर पर कई तरह से नुकसान होता है। जो पेट के जरिए दिमाग से लेकर शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकते हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा भी पैदा होता है। फल हों या सब्जी, कुछ देर के लिए पानी में रखनी चाहिए। यह प्रक्रिया दो से तीन बार करें। इसके बाद ही इनका सेवन करें।
- डॉ. मनोज सलूजा, सीनियर फिजिशियन