ऐसे में इस बार
रमजान में ताजे खजूर के बजाय कोल्ड स्टोरेज में रखे खजूर से ही लोगों को इफ्तार करना पड़ रहा है। कई विक्रेता ऐसे है जिन्होने पहले से ही खजूर का स्टॉक रखा हुआ था वही बेच रहे है तो कहीं खजूर देखने को भी नहीं मिल रहे।
शहर के कफ्र्यू ग्रस्त इलाकों में खजूर रोजेदारों से दूर है। हालांकि प्रशासन ने ऐसे इलाकों में फलो की व्यवस्था तो करवाई है लेकिन रोजेदारो को खजूर नसीब नही हो रहा।
रमजान के दिनों में खजूर बेचने वाले बताते है कि रमजान में सऊदी अरब, इराक ओर ईरान से आने वाली खजूर की तमाम किस्में उपलब्ध रहती थी । सबसे ज्यादा डिमांड ईरान खजूर की होती है। खजूर विक्रेता विनोद का कहना है कि इस बार लॉक डाउन के चलते माल नहीं आ पाया।
खजूर का महत्व रमजान के महीने में रोजेदार दिनभर भूखे प्यासे रहकर रोजा इफ्तियार करते हैं। शाम को खजूर से रोजा खोलने की मान्यता है। खजूर नही है तो पानी से भी तोडा़ जा सकता है क्योकि वह शुद्ध है।
यह वैज्ञानिक आधार वहीं वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार खजूर के साथ उपवास तोडऩे का सांस्कृतिक महत्व तो है ही साथ ही यह शरीर में ऊर्जा का संचार करता है, दिनभर उपवास से शरीर की ऊर्जा नष्ट हो सकती है और डीहाईड्रेट हो सकता है ऐसे में कम रक्त शर्करा, सिरदर्द और सुस्ती महसूस हो सकती है। उपवास में खजूर लेने से यह शरीर के पाचन रस को छिपाने के लिए भोजन के प्रवाह में लेने के लिए सक्रिय करता है।
फिजिशियन डॉ. डी.एस तैलंग का कहना है कि खजूर कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से भरे हुए होते है फाइबर शरीर को भरा हुआ महसूस कराता है ओर भूख महसूस करने से रोकता है। दिल के रोगियों के लिए भी खजूर असरदायी है इसमें 54 फीसदी चीनी ओर 7 फीसदी प्रोटीन युक्त होता है। यह उच्च मैग्रीशियम आहार है जो शरीर में कैल्शियम, विटामिन डी ओर इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को नियत्रित करता है।