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कोटा

Motivational: प्रेस करने वाले का बेटा अफसर बनकर वर्दी में लौटा तो ढोल-नगाड़ों से हुआ स्वागत, कर्जा लेकर बुक कराई थी टिकट

Inspirational Real Life Story: राजस्थान के कोटा जिले के आर्थिक रूप से सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले राहुल वर्मा जब अफसर की वर्दी में घर पहुंचे, तो आस-पड़ोस के लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ माला पहनाकर उनका भव्य स्वागत किया। बेटे को वर्दी में देखकर जहां पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया, वहीं मां की आंखें खुशी के आंसुओं से भर आईं।

कोटाDec 16, 2024 / 03:31 pm

Akshita Deora

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Lieutenant Rahul Verma Kota: “पूरी मेहनत से किसी मुकाम को पाने की कोशिश करो, तो वह एक दिन हासिल हो ही जाता है।” यह लाइन कोटा के राहुल वर्मा ने सच कर दिखाई। दरअसल कोटा के एक साधारण परिवार में जन्मे राहुल के पिता कपड़े प्रेस करने का काम करते हैं और मां गृहिणी हैं। ऐसे में आर्थिक स्थिति को सुधारने और एक अफसर बनने का सपना लेकर राहुल ने कड़ी मेहनत की। 12वीं के बाद सेल्फ-स्टडी और यूट्यूब की मदद से 2020 में NDA की परीक्षा दी। तीन बार असफल होने के बाद चौथे प्रयास में उन्होंने परीक्षा पास की। इसके बाद चार साल पुणे और देहरादून में ट्रेनिंग करने के बाद राहुल ने सेना में अफसर बनने का सपना साकार किया। जब वह वर्दी पहनकर घर लौटे, तो पूरे इलाके में जश्न का माहौल था।

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हिंदी माध्यम से पढ़ाई के कारण हुई कई मुश्किलें

Lieutenant Rahul Verma Kota
राहुल ने स्कूली शिक्षा कोटा में हिंदी माध्यम से प्राप्त की, जिसकी वजह से उन्हें कई बार हताशा का सामना करना पड़ा। राहुल ने अपनी असफलताओं का मुख्य कारण हिंदी माध्यम को बताया, लेकिन उन्होंने कभी परिस्थितियों को दोष देने के बजाय आगे बढ़ने पर विश्वास किया। इंटरव्यू के दौरान उनकी अंग्रेज़ी कमजोर होने की समस्या सामने आई, लेकिन उन्होंने मेहनत और दृढ़ता से इस बाधा को भी पार किया। अंततः, इंडियन मिलिट्री अकादमी की पासिंग आउट परेड का हिस्सा बने और ये उनके जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक बन गया।

हिट कर गई पिता की लाइन

Lieutenant Rahul Verma Kota
राहुल वर्मा के संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। उनके पिता नंदकिशोर वर्मा, जो पेशे से धोबी है। उन्होंने हमेशा राहुल को मेहनत का महत्व समझाया। जब भी राहुल निराश होते, उनके पिता उन्हें कहते, “बेटा, राजा का बेटा राजा नहीं होता और रंक का बेटा रंक नहीं होता। इंसान अपनी मेहनत से अपनी किस्मत लिखता है।” यह सीख राहुल के लिए प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बनी।

बड़ी बहन ने दिया आर्थिक सहारा

Lieutenant Rahul Verma Kota
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने और कोई गाइड न होने के कारण राहुल को कोचिंग की सुविधा नहीं मिल सकी। लेकिन उनकी बड़ी बहन ने प्राइवेट स्कूल में नौकरी करके उनका हौसला बढ़ाया और कई जगहों पर आर्थिक रूप से सहयोग भी किया।

350 में से 95वीं रैंक

Lieutenant Rahul Verma Kota
राहुल बताते हैं कि NDA परीक्षा में लगभग 10 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे, जिनमें से 8000 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसके बाद शारीरिक परीक्षा में 5000 अभ्यर्थी रह गए। मेडिकल टेस्ट के बाद 350 टॉप अभ्यर्थियों की सूची में राहुल ने 95वीं रैंक हासिल की। इंडियन आर्मी में ऑफिसर के पहले पायदान यानी लेफ्टिनेंट बनने के बाद राहुल ने कहा, “मेरे सपनों को पंख लग गए हैं। माता-पिता की मेहनत रंग लाइ है और मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी है की मैं परिवार से पहला अफसर बना।”

फ्लाइट टिकट के लिए पिता ने लिया था कर्ज

Lieutenant Rahul Verma Kota
राहुल वर्मा के दादा और पिता दोनों ही धोबी का काम करते थे। कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद राहुल ने कभी हार नहीं मानी। SSB इंटरव्यू के लिए उन्हें जाना था लेकिन टिकट के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में उनके पिता ने छह हजार रुपये का कर्ज लेकर उनके लिए फ्लाइट की टिकट बुक कराई।

जयपुर के आयुष ने भी किया नाम रोशन

Ayush Verma
ऐसे ही जयपुर के आयुष शर्मा ने भी राजस्थान का नाम रोशन किया। 14 दिसंबर को देहरादून में IMA पासिंग आउट परेड में आयुष की भरतीय सेना में लैफ्टीनेंट के पद पर नियुक्ति हुई है। आयुष शर्मा पुत्र जयप्रकाश शर्मा बचपन से ही होनहार रहे हैं, उनका सपना था कि वो सेना में अधिकारी बन देश की सेवा करे। आयुष का ये सपना पूरा होने पर हर किसी को उन पर गर्व है।

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