ज्योतिषाचार्य शिवप्रकाश दाधीच के अनुसार सोमवार को अष्टमी तिथि सुबह 3.39 पर प्रारंभ होकर 27 अगस्त को रात 2.17 बजे तक रहेगी। जन्माष्टमी पर द्वापर काल जैसा दुर्लभ संयोग बन रहा है, ये योग ठीक वैसा ही है, जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। दाधीच के अनुसार इस साल भी रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को दिन में 3.53 बजे से प्रारंभ होकर 27 अगस्त को दिन में 3.33 बजे तक रहेगा।
हर्षल योग भी खास जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह योग दिन में 3.55 पर प्रारंभ होकर दूसरे दिन प्रात: 6 .19 बजे तक रहेगा। कृष्ण जन्म के समय चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान था और सूर्य सिंह राशि में विराजमान थे। इस बार भी ये ग्रह ठीक उसी स्थिति में हैं, इस बार भी जन्माष्टमी पर हर्षल योग बन रहा है।
सोम से कृष्ण का विशेष संबंध निर्णय सिंधु के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म बुधवार के दिन हुआ था और भागवत के अनुसार श्रीकृष्ण का नामकरण सोमवार को हुआ था। जन्माष्टमी इस बार सोमवार को पड़ रही है। सोमवार का योग विशेष शुभ कारक माना जाता है। शश राजयोग और गुरु चंद्र युति के कारण गजकेसरी योग भी सोमवार को रहेंगे। मिथुन राशि में मंगल और इसी दिन बुध का उदय होना भी शुभफलदायक माना जा रहा है।
जन्माष्टमी पर बनने वाले ग्रह योग का 12 राशियों पर इस प्रकार रहेगा प्रभाव मेष शुभ फलदायक, वृषभ सफलता, मिथुन पीड़ा व धन खर्च, कर्क सुखद फलदायी, सिंह लाभकारक, कन्या कष्टकारक, तुला भय व चिंता, वृश्चिक संतान चिंता, यात्रा योग, धनु स्वास्थ्य का ध्यान रखें, मकर बंधु विरोध, संतति सुख, कुंभ कार्य सिद्धि व सुख शांतिकारक, मीन कष्ट, मानसिक अवसाद।