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Kota Suicide Case: ‘मम्मी-पापा आप खुश रहो’, लिखकर कोटा में NEET स्टूडेंट ने की आत्महत्या; उठे ये सवाल

Kota Suicide Case: राजस्थान के कोटा में एक और NEET स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया है। छात्र यूपी का रहने वाला बताया जा रहा है।

कोटाOct 17, 2024 / 02:25 pm

Nirmal Pareek

Kota Suicide Case: राजस्थान के कोटा शहर को मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले बच्चों का हब माना जाता है। अपने लक्ष्य को पाने के लिए कोटा स्टूडेंट की पहली पसंद होती है। लेकिन इसका दूसरा स्याह पक्ष भी है। आज ही कोटा में एक और NEET स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया है। छात्र यूपी का रहने वाला बताया जा रहा है। बता दें कोटा में इस साल अब तक 13 आत्महत्याएं सामने आई हैं।
कोटा पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मामले की जांच की जा रही है और छात्र के परिवार को इस घटना की सूचना दे दी गई है। फिलहाल छात्र की आत्महत्या के कारण का खुलासा नहीं हुआ है।
दरअसल, कोटा में NEET की तैयारी कर रहे एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। कोटा में रहकर मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे मिर्जापुर निवासी छात्र ने अपने PG कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्र अपनी बहन के साथ पीजी में रहकर पढ़ाई कर रहा था।

सुसाइड नोट में लिखा ये संदेश

जानकारी के मुताबिक घटनास्थल पर पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें छात्र ने अपने माता-पिता के लिए लिखा, “मम्मी-पापा, आप खुश रहो।” इस नोट ने सभी को झकोर कर रख दिया है। सुसाइड नोट में आत्महत्या के पीछे के कारणों का स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन यह घटना छात्र पर पढ़ाई का मानसिक दबाव होने की ओर इशारा करती है।
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2023 में अब तक 13 आत्महत्याएं

यह घटना कोटा में इस साल होने वाली 13वीं आत्महत्या है। कोटा, जो कि देशभर से लाखों छात्रों का शिक्षा हब माना जाता है, अब आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के कारण गंभीर चिंताओं का केंद्र बन चुका है। कोचिंग की कड़ी प्रतिस्पर्धा और मानसिक तनाव के कारण छात्रओं में निराशा और मानसिक दबाव बढ़ता जा रहा है, जिसका खामियाजा युवाओं को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है।

कोचिंग उद्योग पर उठे सवाल

कोटा की बढ़ती आत्महत्याओं पर सवाल कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं एक बार फिर शिक्षा प्रणाली और कोचिंग उद्योग पर सवाल खड़े कर रही हैं। कई छात्र भारी दबाव और मानसिक तनाव का सामना नहीं कर पाते, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी दुखद घटनाएं सामने आती हैं। प्रशासन और सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि इन होनहार छात्रों की जानें यूं ही ना चली जाएं।
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