कोटा नगर निगम ने शहर के निजी शिक्षण संस्थाओं व कोचिंग संस्थानों को नियमों के दायरे में लेने की तैयारी कर ली है। निगम सीमा क्षेत्र में संचालित शिक्षण संस्थानों को पंजीयन कराना होगा। प्रत्येक छात्र के हिसाब से निगम मोटी राशि वसूल करेगा। राजस्व समिति की सोमवार को हुई बैठक में निर्णय किया गया कि जिन कोचिंग संस्थानों और शिक्षण संस्थानों 250 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, उनका निगम में पंजीयन कराना जरूरी होगा। प्रत्येक छात्र के हिसाब से शिक्षण संस्थाओं से सालाना 1000 रुपए वसूल किया जाएगा।
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पदमावती की वंशंज पूर्व महारानियों ने खोला मोर्चा, बोलीं- अस्मिता से खिलवाड़ किया तो भंसाली की खैर नहींसालाना 30 करोड़ से ज्यादा की होगी कमाई कोटा में 50 से ज्यादा बड़े कोचिंग संस्थानों में 1.60 लाख कोचिंग विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। इस हिसाब से नगर निगम इनसे सालाना करीब 16 करोड़ की टैक्स वसूली करेगा। वहीं 500 से ज्यादा प्राईवेट स्कूलों में 84 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। जिसने 8.50 करोड़ रुपए टैक्स उगाही होगी। वहीं करीब 50 प्राईवेट डिग्री कॉलेजों में 50 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इनसे सालाना 5 करोड़ रुपए से ज्यादा टैक्स वसूला जाएगा।
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टैक्स लगाने की बताई ये वजह कोटा नगर निगम के अधिकारियों ने निजी शिक्षण संस्थानों पर सफाई के नाम पर नया टैक्स लगाने की वजह बताते हुए कहा कि आवासीय क्षेत्र में कोचिंग, स्कूल और कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इन क्षेत्रों में नगर निगम को अपने संसाधन लगाकर साफ-सफाई करानी पड़ती है। इसलिए यह शुल्क लिया जाएगा। निगम अभी शिक्षण संस्थाओं से नगरीय कर वसूल करता है। अब छात्रों के हिसाब से भी राशि वसूल करेगा।
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उपमहापौर ने किया विरोध कोटा नगर निगम की उपमहापौर सुनीता व्यास और राजस्व समिति के अध्यक्ष महेश गौतम लल्ली ने सफाई के नाम पर कोटा के निजी संस्थानों में पढ़ने आ रहे छात्रों पर टैक्स लगाने का विरोध कर दिया है। उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों पर टैक्स लगाया तो इसका सीधा बोझ अभिभावकों पर पड़ेगा, इसलिए शुल्क कम किया जाए। लेकिन निगम प्रशासन ने आपत्ति दरकिनार करते हएु प्रति छात्र एक हजार रुपए की राशि वसूल करने के निर्णय पर मुहर लगा दी। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश शर्मा ने कहा कि प्रति छात्र-छात्रा के हिसाब से एक हजार रुपए का शुल्क लेने का निर्णय अनुचित है। निगम किस बात की राशि ले रहा है। इसका विरोध करेंगे, निगम प्रशासन से बात करेंगे।
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टैक्स का नाम तय नहीं, दरें तय कर दीं सफाई के नाम पर कोचिंग संस्थानों, प्राईवेट स्कूल और कॉलेजों पर लगाए जाने वाले नए टैक्स को लेकर विवाद खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ा विवाद तो इस बात को लेकर है कि नगर निगम की राजस्व समिति के अध्यक्ष और उपमहापौर की आपत्ति के बाद नया कर लगाने का प्रस्ताव आखिर पास कैसे हो गया? वहीं एक ही विद्यार्थी दो स्कूलों या कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहा होगा तो उससे टैक्स की वसूली किस तरह की जाएगी। इन सबके बाद सबसे बड़ा सवाल इस बात को लेकर उठ रहा है कि आखिर नगर निगम इस कर की वसूली किस मद में और किस नाम से करेगा ? उपमहापौर सुनीता व्यास कहती हैं कि टैक्स को लेकर अभी सहमती नहीं है। यह विशेष बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा, अंतिम निर्णय वहीं होगा।