नगर निगम प्रशासन वसूली में फिसड्डी साबित हो रहा है। वित्तीय वर्ष खत्म होने में दो माह बचे, निगम अब तक लक्ष्य का केवल चालीस फीसदी ही नगरीय कर वसूली पाया है। मैस संचालकों पर तो निगम इतना मेहरबान है कि इनसे अभी तक कोई वसूली नहीं की। यही हाल बजट उपयोग का भी है। करोड़ों रुपए के बजट का कोई उपयोग नहीं किया गया। वित्तीय वर्ष समप्ति के साथ यह पैसा लैप्स होने की कगार पर है।
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25 करोड़ बजट, खर्चे सिर्फ 3 करोड़निगम ने पिछले वर्ष बजट में कन्टीजेन्सी मय संविदा पर सफाई तथा कचरा परिवहन मद में 24 करोड़ का बजट रखा, लेकिन दिसम्बर तक केवल 2.64 करोड़ रुपए ही खर्च हुए। अब दो माह में शेष बजट खपाने में निगम लगा है। इसी तरह, अतिक्रमण मुक्त भूमि पर सुरक्षा दीवार बनाने के लिए 50 लाख का बजट रखा गया, लेकिन फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं हुई। अग्निमशन यंत्र बुझाने के संसाधन खरीदने के लिए 30 लाख का बजटीय प्रावधान रखा, लेकिन इसमें भी 38 हजार रुपए ही खर्च हुए हैं। फायर सेफ्टी पर 10 लाख का बजट रखा गया था, लेकिन इसमें भी धेला खर्च नहीं हुआ।
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15 करोड़ यूडी टैक्स का लक्ष्य
निगम ने वर्ष 2017-18 में नगरीय कर वसूली का 15 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन दिसम्बर तक केवल 339.97 लाख रुपए की ही वसूली हुई। कम वसूली को लेकर पिछले दिनों राजस्व समिति की बैठक में मुद्दा भी उठा। Read More : महासभा में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत बोले- जो देख रहे कांग्रेस मुक्त भारत का सपना वाे खुद हो जाएंगे देश से मुक्त, बंद कमरे में की चर्चा