इनका हुआ अभिनंदन
समारोह में पूर्व प्राचार्य डॉ. एसडी पुरोहित, डॉ. एमआर सोनगरा, डॉ. जीएल वर्मा, डॉ. पीएस निर्वाण, डॉ. आरके आसेरी, पूर्व अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. एचएम सिंह, डॉ. स्नेहलता शुक्ला, डॉ. एके सक्सेना, डॉ. एसपी चित्तौड़ा, डॉ. डीके मिश्रा, पूर्व अधीक्षक डॉ. रामपाल, डॉ. एसएन मल्होत्रा, डॉ. आरके गुलाटी, डॉ. आरपी रावत, जवाहरलाल नेहरू कॉलेज अजमेर के प्राचार्य डॉ. आरके बुखारू का शॉल ओढाकर सम्मान किया गया। वहीं मेडिकल कॉलेज प्रारंभ होने के अवसर पर चार्ज लेने वाले तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. आरके शर्मा और 1992 बैच के सभी 50 छात्र- छात्राओं समेत दो दर्जन से अधिक चिकित्सकों का सम्मान किया गया।
फोटो प्रदर्शनी में दिखा 25 साल का सफर
कॉलेज ऑडिटोरियम में फोटो प्रदर्शनी में 25 साल का सफर बताया गया। प्रदर्शनी में 1992 के बैच से लेकर अब तक के बैच के फोटो लगाए गए। पुराने व नए स्टूडेंट्स ने उन फोटो को देखकर अपने कॉलेज के दिनों को याद किया। यहां बच्चों के मंनोरजन के लिए हाथी, घोड़ों व ऊंट की सवारी कराई गई।
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मान्यता के लिए किया संघर्ष…
समारोह में 1992 बैच के डॉ. अनुराग सिंह चैहान व डॉ. मुकेश विजय ने यादों को ताजा किया। उन्होंने बताया कि जब ईएसआई हॉस्पिटल में कक्षाएं चलती थी, एमसीआई से मान्यता नहीं मिलने के कारण से काफ ी संघर्ष किया गया। भाजपा के अधिवेशन में अपनी मांग रखने के लिए स्टूडेंट चार दिन तक गांधी नगर में रहे। कॉलेज के लिए रंगबाड़ी रोड पर जमीन दी गई तो छात्रों में खासा आक्रोश पनपा था कि जंगल में जमीन दी गई है। अब कोटा के साथ ही मेडिकल कॉलेज बहुत विकसित हो चुका, कॉलेज शहर के मध्य में आ गया।
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सारी एप्रोच झोंकी…
डॉ. जीएल वर्मा ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि उस समय 50 सीट के मेडिकल कॉलेज में 100 सीटें कराने के लिए सारी एप्रोच और संसाधन झोंकने पड़ गए थे। आज ऐसा लग रहा है मानो 10 साल बाद फिर से घर आया हूं।
डॉ. आरके आसेरी ने कहा कि कोटा मेडिकल कॉलेज को पलते और बढ़ते देखा है। कोटा वाइब्रेंट सिटी कहलाती है और यहां का मेडिकल कॉलेज भी वाइब्रेंट है। कोटा जैसी टीम कहीं नहीं मिल सकती। उन्होंने कहा जोधपुर मेरी जन्मभूमि है, लेकिन कोटा मेरी कर्मभूमि है।
डीसीएम रेस्ट हाउस में शाम को आयोजित कार्यक्रम में इंडियन आइडियल फेम हसन राजा ने एक से बढ़कर एक फिल्मी गीतों की प्रस्तुति दी। जिस पर डॉक्टर झूमकर नाचे। कार्यक्रम देर रात तक चला।
हमें भूल गए…
कॉलेज के 25 साल पूरे होने व यहां के कामकाज में हमारा भी विशेष योगदान रहा, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने हमें बुलाया तक नहीं। 92 से यहां कार्यरत सीनियर क्लर्क गजेन्द्र अग्रवाल ने यह पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि मेडिकल कॉलेज के हमने कई उतार-चढ़ाव देखे। हमने भी सहयोग किया। रेडियोग्राफर, टेक्निशियन व लिपिक किसी की भूमिका कम नहीं है, फिर भी कॉलेज से निमंत्रण तो छोड़, सूचना तक नहीं दी गई।