यह भी पढ़ें
#4_साल_सूरत_ए_हालः सिर्फ 735 लोगों को
रोजगार देने में फूंक दिए 349 करोड़ रुपएइन कार्यों से बदलने वाला है रूप संग्रहालय में रंगाई पुताई, मरम्मत के कार्य पूर्ण होने पर अलग-अलग विषय के अनुसार गैलेरीज बनाई जाएगी। शिवा दीर्घा, वैष्णवी दीर्घा, जैन दीर्घा, लोक जीवन पर आधारित दीर्घा होगी। इसमें लोक कला संस्कृति से सम्बन्धित वस्तुओं को दर्शाया जाएगा। पुरा सम्पदा के जरिए पर्यटक नृत्य, नारी शृंगार व लोक जीवन को इस दीर्घा में देख सकेंगे। अब पेंटिंग्स, परिधान, अस्त्र-शस्त्रों को भी अलग दीर्घा में दर्शाया जाएगा। यहां स्थित प्राचीन बावड़ी में फव्वारा दर्शकों को आकर्षित करेगा। इनमें से अधिकतर कार्य पूर्ण हो गए हैं। लाइट फिटिंग समेत कुछ कार्य होने शेष हैे। इसके बाद पुरा सम्पदाओं को अधिकारियों के निर्देशानुसार दर्शाने में समय लगेगा।
यह भी पढ़ें
चेतन भगत ने मणिशंकर अय्यर का उड़ाया ऐसा मजाक कि अच्छे-अच्छों की बोलती हो गई बंद, देखिए क्या कहा
एेसा है अपना संग्रहालय कोटा संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1946 में की गई थी। इसमें बड़वा से प्राप्त तीसरी शताब्दी के यूप स्तंभ, हाड़ौती की प्रतिमाएं, अस्त्र-शस्त्र, लघुचित्र प्रदर्शित हैं। आठवीं शताब्दी की त्रिभंग मुद्रा में सुर सुंदरी, 8 वीं शताब्दी की शेषशायी विष्णु, 5 वीं शताब्दी की झालरी वादक, मध्य पुरा पाषाण काल के उपकरण, 15 से 19 वीं शताब्दी के ग्रंथ, 18 वीं-19वीं शताब्दी के अस्त्र-शस्त्र समेत कई पुरा महत्व की वस्तुएं संग्रहित हैं। संग्रहालय किशोर सागर तालाब के पास बृजविलास भवन में है। यह संरक्षित स्मारक भी है।
यह भी पढ़ें
दीवानगी की हर हद पार कर चुका था हत्यारा मंगेतर, खुद को भी मारे थे 21 चाकू
कुछ कार्य शेष, थोड़ा समय लगेगा संग्रहालय एवं पुरातत्व विभाग के वृत अधीक्षक उमराव सिंह ने बताया कि अधिकतर कार्य पूरा हो गया है। लाइट फिटिंग समेत कुछ कार्य शेष हैै। इसके बाद तकनीकी रूप से वस्तुओं का प्रदर्शन करने समेत अन्य कार्यों में समय लगेगा। जैसे ही कार्य पूर्ण होगा, संग्रहालय दर्शकों व पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।