जनवरी माह में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रदेश के सभी शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार हो, इसके लिए राज्य सरकार इंदौर मॉडल पर काम करेगी। स्वायत्त शासन विभाग ने सभी नगरीय निकायों को इंदौर शहर में किए जा रहे कार्यों की सूची भेजी है और उसी अनुरूप काम करने के निर्देश दिए हैं।
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कोटा के मास्टर प्लान 2031 को मिली मंजूूरी, जानिए कैसा दिखेगा 2031 में आपका कोटा विभाग की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट किया है कि स्वच्छता सर्वेक्षण, 2017 में इंदौर ने जैसे काम किया, वैसे ही संसाधन व कार्यप्रणाली को अपनाना होगा। जनप्रतिनिधि और अफसरों के बीच सामंजस्य का भी हवाला दिया गया है। जबकि, निगर निगम व अन्य निकायों में ऐसा नहीं है, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। यह भी पढ़ें
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गौरतलब है कि स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने पिछले दिनों इंदौर शहर का सफाई मॉडल देखा था। कोटा निगम अधिकारियों का दल भी इंदौर गया था, वहां के मॉडल को देखकर आए थे, इसके बाद यहां इस दिशा में काम शुरू किया गया है।
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राजस्थान पत्रिका ने विशेष सत्र बुलाकर पार्षदों को स्वच्छता सर्वेक्षण की गाइड लाइन बताने का मसला प्रमुखता से उठाया। इसके चलते पार्षद सफाई को लेकर विशेष सत्र की मांग उठा रहे हैं। हालांकि अभी तक निगम ने विशेष सत्र की कोई तैयारी नहीं की है, लेकिन राज्य सरकार ने भी जनप्रतिनिधियों और पार्षदों से तालमेल बैठाकर स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले सफाई की दिशा में काम करने के निर्देश दिए हैं। इसलिए निगम को विशेष सत्र बुलाना होगा।
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घर—घर कचरा संग्रहण।
कचरा संग्रहण के लिए यूजर चार्ज।
हर दिन दो बार स्वीपिंग।
खुले में शौच मुक्त शहर।
सौ फीसदी कचरा संग्रहण व परिवहन कार्य।
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स्टाफ के लिए ई—लर्निंग कोर्स।
कचरा प्रोसेसिंग प्लांट, कचरे का पृथक्करण, ताकि उसे उपयोगी बनाया जा सके।
आवासीय व व्यावसायिक संस्थानों से वेस्ट कलेक्शन।
स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करना। Read More: राजस्थान के इस शाही पैलेस में झपकी भी नहीं ले सकता सिक्योरिटी गार्ड, सोए तो भूत देता है ये सजा
विशेष सफाई अभियान।
पुराने मलबे, कचरे को उठाना।
दीवारों पर पेंटिंग।
व्यस्त बाजारों में दिन में दो बार सफाई।
रात्रिकालीन सफाई में अतिरिक्त स्टाफ।
जेटिंग मशीन से प्रमुख चौराहों-स्मारकों की धुलाई।
365 दिन सफाई, एक भी दिन अवकाश नहीं।
प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग सड़क बनाने में।