हाईप्रोफाइल है मामला
एएआई के सूत्रों की माने तो कोटा में एयरपोर्ट का मामला हाईप्रोफाइल हो चला है। मंत्रालय की पूरी टीम इसको लेकर तेजी से काम कर रही है। एयरपोर्ट के निर्माण में ३ से ४ साल का समय लगेगा। आपकों बतादे की लोकसभा में चर्चा के दौरान उड्डन मंत्री ने ये बात कही थी कि कोटा में एयरपोर्ट का निर्माण हमारे लिए अहम है, इसको लेकर कई सांसद और मंत्री भी आग्रह कर चुके हैं। कोटा से सांसद ओम बिरला के लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद इस प्रक्रिया में और तेजी आई है।
राजस्थान पत्रिका ने जब एएआई की टीम से निरीक्षण के नतीजे जानने चाहे तो जीएम प्लानिंग मोहम्मद ताजुद्दीन ने बताया कि जैसे ही पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी हम कोटा में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने के लिए किए गए निरीक्षण की रिपोर्ट उड्डयन सचिव को भेज देंगे। इसकी एक प्रति जिला कलक्टर को भी दी जाएगी। वही अधिकारिक जानकारी देंगे, लेकिन मौके पर जो जमीन देखी है उसकी लंबाई और चौड़ाई अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप रनवे बनाने के साथ ही ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए भी मुफीद है। उम्मीद है कि जो छोटी-मोटी खामियां हैं, वे भी दूर हो जाएंगी। पूरी जमीन की एयरोनॉटिकल मैपिंग कर अंतिम दो प्रस्ताव मांगे हैं, जिन पर आखिरी फैसला लिया जाएगा।
सुबह ही पहुंचे शंभुपुरा
जीएम (प्लानिंग) मोहम्मद ताजुद्दीन के नेतृत्व में एएआई की छह सदस्यीय हाईप्रोफाइल टीम कोटा में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट की जमीन का भौतिक निरीक्षण करने गुरुवार सुबह १० बजेे शंभूपुरा पहुंची। टीम ने सबसे पहले हाईवे पर स्थित जमीन के शुरूआती छोर पर डेरा डाला और नगर विकास न्यास, सिंचाई विभाग, राजस्व, मेट्रोलॉजी, एनएचएआई और एविएशन के अधिकारियों के साथ स्टेंडिंग मीटिंग कर पूरे प्रस्ताव को समझने की कोशिश की। यूआईटी के विशेषाधिकारी आरडी मीणा ने उन्हें बूंदी जिले के जाखमुंड, रामपुरिया और तुलसा गांव की करीब 2745 बीघा खाली जमीन पर एयरपोर्ट बनाने के प्रस्ताव की जानकारी दी।
छठा नक्शा देख आंखें चमकीं
एएआई की टीम ने हवाई अड्डे के लिए प्रस्तावित जमीन का नक्शा मांगा तो कंपाइल रिपोर्ट सौंपने के बजाय यूआईटी के अधिकारियों ने उनके सामने एक एक कर पांच नक्शे फैला दिए। जिन्हें देखकर टीम के सभी सदस्य असमंजस में पड़ गए। अंत में उन्होंने जमीन की भौगोलिक स्थिति और सबसे उचित जमीन की जानकारी मांगी तब जाकर छठा नक्शा टीम के सामने रखा गया। जिसे देखकर टीम की आंखें चमक उठीं और इस प्रस्ताव में चिह्नित जमीन को ही दिखाने के निर्देश दिए।
हर सवाल पर लाजवाब
पहले पांच नक्शे देखने के बाद असमंजस में पड़ी टीम के मुखिया मोहम्मद ताजुद्दीन ने जब ड्रेनेज, रिहाइशी इलाकों, लॉ लाइन एरिया, फ्लड डेटा, सेंट्रल वॉटर कमीशन की रिपोर्ट, विंड डायरेक्शन, हाईटेंशन लाइन शिफ्टिंग प्रपोजल की जानकारी मांगी तो मौके पर मौजूद अफसर बगलें झांकने लगे। हद तो तब हो गई जब टीम ने दो बार प्रस्तावित जमीन का चेनएज डेटा मांगा तब मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट जयपुर से आई अधिकारी ने एक सप्ताह में पूरी जानकारी मेल करने का आश्वासन दिया। जिस पर टीम को जानकारी तत्काल मुहैया कराने के निर्देश देने पड़े। बातचीत के दौरान टीम को प्रस्तावित जमीन के पास वाइल्डलाइफ सेंचुरी होने की जानकारी मिली तो उन्होंने फॉरेस्ट लेंड का डिमार्केशन पूछ लिया। इस पर वहां मौजूद बूंदी डीएफओ सतीश जैन ने हाथ खड़े कर दिए। जब उनसे ईको सेंस्टिव जोन और जरूरत पडऩे पर वन भूमि ट्रांसफर करने की जानकारी मांगी तो वह ईको सेंस्टिव जोन की दिक्कतें गिनाने लगे। जिससे तंग आकर जीएम प्लानिंग ने सीधे पूछा-आप तो यह बताइए कि मिल सकती है या नहीं? तब डीएफओ ने कहा कि मिल तो सकती है, लेकिन आपको लखनऊ एप्रोच करना होगा और जमीन के बदले जमीन देने के साथ ही पर्यावरण क्षति के रूप में ६.२६ लाख रुपए एमटीपी की दर से भुगतान भी करना होगा।
खुद ही दौड़े अफसर
एएआई की टीम ने आपस में वार्ता कर नगर विकास न्यास द्वारा उपलब्ध कराए गए छठे प्रस्ताव को उचित मानते हुए उसका स्थलीय निरीक्षण कराने के निर्देश दिए। इस दौरान मौके पर मौजूद अफसरों ने इस टीम के साथ सिर्फ फॉरेस्ट, पीडब्ल्यूडी और यूआईटी के चुनिंदा अफसरों को ही भेजने की बात कही तो टीम को सभी विभागों को मौके पर रहने के निर्देश देने पड़े। एएआई की टीम ने बूंदी बाईपास से लेकर बरधा डैम तक और फिर वहां से तालेड़ा होते हुए वेदांता कॉलेज के सामने तक के १८ किमी से ज्यादा के इलाके की गहन छानबीन की।
दो प्रस्ताव के निर्देश
एएआई टीम ने बूंदी बाईपास से लेकर बरधा डैम तक करीब आठ किमी लंबी और डेढ़ किमी चौड़ी जमीन को कोटा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए सबसे मुफीद माना। यह बाकी प्रस्तावित जमीन से न सिर्फ ऊंचाई पर स्थित है, बल्कि पूरी तरह खाली भी है। पूरी जमीन वन विभाग की है। निरीक्षण के बाद वेदांता कॉलेज के सामने एएआई की टीम ने जिला कलक्टर और यूआईटी के विशेषाधिकारी से वार्ता कर दो प्रस्ताव तैयार करने को कहा। जिसमें सेंचुरी और बाईपास के दूसरी ओर की जमीन मिलने की संभावनाएं, आरएपीपी से आ रही एचटी लाइन हटाने, कोटा थर्मल और आरएपीपी के नो फ्लाइंग जोन, ईको सेंस्टिव जोन के साथ ही इन अड़चनों को खत्म करने के तरीके भी बताने के निर्देश दिए।