कोटा

इंजीनियर से लेकर जेलर तक सब हुए भ्रष्टाचारी, कोई नहीं दूध का धुला, पढि़ए 2017 में एसीबी कार्रवाई की रिपोर्ट

कोटा. सरकारी सिस्टम में छोटे-छोटे काम भी बिना रिश्वत लिए नहीं करने की व्यवस्था अभी तक पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।

कोटाDec 29, 2017 / 11:24 am

abhishek jain

Patrika news

कोटा .
सरकारी सिस्टम में छोटे-छोटे काम भी बिना रिश्वत लिए नहीं करने की व्यवस्था अभी तक पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। इसका जीता जागता उदाहरण कोटा में इस साल एसीबी द्वारा की गई कार्रवाई हैं। जिनमें एसीबी की टीम ने इंजीनियर से लेकर जेलर तक और पुलिस अधिकारी से लेकर प्रवर्तन निरीक्षक तक को हजारों रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इतना ही नहीं अदालत ने भी भ्रष्टाचारियों पर लगाम कसते हुए कई लोगों को पुराने मामलों में सजा से दंडित किया।
पहले जहां ग्राम सेवक, पटवारी और सिपाही तबके के ही लोग 100 से 500 या एक हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़े जाते थे। बड़े अधिकारी कभी कभार ही हत्थे चढ़ते थे। अब एसीबी ने इन बड़े अधिकािरयों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस साल की गई कार्रवाई में एसीबी चौकी ने 14 मामले रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार करने के और 2 मामले पद के दुरुपयोग के दर्ज किए। जबकि एक पीई परिवहन विभाग के उप निरीक्षकों के खिलाफ अवैध वसूली दर्ज की गई। इसी तरह विशेष शाखा की टीम ने भी करीब 10 कार्रवाई की।
 

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इन्हें भी किया गिरफ्तार
एसीबी की टीम ने इटावा एसएचओ महावीर सिंह शेखावत को 21 मार्च को 20 हजार रुपए, नगर विकास न्यास के पटवारी संजीव गोचर को 30 मई को 30 हजार रुपए, जिला परिषद के जल ग्रहण विभाग की कनिष्ठ अभियंता प्रीति सेन, सरपंच रमेश कुमार व सचिव सुरेश कुमार को 12 जुलाई को 43 हजार रुपए, परिवहन विभाग के दो उप निरीक्षक समेत 7 जनों को ट्रक चालकों से अवैध वसूली करते, खातौली थाने के तत्कालीन एसएचओ अर्जुन स्वामी को 6 अक्टूबर को 8 हजार रुपए, केन्द्रीय भविष्य निधि विभाग के निरीक्षक नलिन भट्ट व सुरेश सैनी को 8 नवम्बर को 25 हजार रुपए और वाणिज्य कर उपायुक्त (अपील्स) के निजी सहायक जितेन्द्र परचवानी को 22 नवम्बर को 11 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था।
अदालत ने सुनाई सजा
एक ओर जहां एसीबी ने भ्रष्टाचार करने वालों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। वहीं विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण ने भी कई पुराने मामलों का निस्तारण करते हुए भ्रष्टाचारियों को सजा से दंडित कर शिकंजा कसा।
 

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केस 01
वर्ष 2017 की शुरुआत में ही 20 जनवरी को एसीबी टीम ने रसद विभाग बूंदी के तत्कालीन प्रवर्तन अधिकारी बारां रोड स्थित आरके नगर निवासी इरफान कुरैशी को राशन डीलर से 10 हजार रुपए रिश्वत लेते घर से गिरफ्तार किया था। जांच में दोषी पाए जाने पर एसीबी ने अदालत में चालान पेश किया।
केस 02

जेल में बंदियों को सुविधाएं देने की एवज में बंदियों के परिजनों से शातिर अपराधियों के माध्यम से अवैध वसूली करते हुए एसीबी ने 3 अप्रेल की रात को पहली बार डिप्टी जेलर बत्तीलाल मीणा को जेल के बाहर पकड़ा था। जिनकी कार से एसीबी ने 12500 रुपए बरामद किए थे। मामले में जेल में बंद अनूप पाडिय़ा व दो अन्य दलालों को भी गिरफ्तार किया था।
केस 03

माली के एरियर का भुगतान करने की एवज में 60 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए एसीबी की टीम ने 24 मई को सीएडी के दायीं मुख्य नहर (आरएमसी) खंड प्रथम के कनिष्ठ अभियंता उमेश श्रृंगी, लेखाकार अवधेश शर्मा व लिपिक अरविंद राजावत को गिरफ्तार किया था।
 

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अधिक सजा का प्रावधान
सहायक निदेशक अभियोजन एसीबी कोटा एहसान अहमद का कहना है कि पहले जहां रिश्वत लेना जमानती अपराध था और इसमें सजा का प्रावधान भी कम था। लेकिन सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इसे गैर जमानती किया गया और सजा का प्रावधान भी बढ़ा दिया। इससे आरोपितों को जेल जाना ही पड़ता है और लोगों में भय भी रहता है। इससे काफी हद तक घूस के मामलों में कमी आई है।

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