कोटा. शरद बयार, पूजन की थाली, सोलह शृंगार, श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, त्याग व समर्पण का भाव, दिनभर निर्जल निराहार और फिर चांद के नजर आने का इंतजार। जैसे ही चांद के दीदार हुए तो चंदा की रोशनी में महिलाएं चेहरे चमक उठे। अवसर था, कार्तिक कृष्ण चतुर्थी यानी करवा चौथ का।
कुछ इसी तरह के माहौल में महिलाओं ने श्रद्धा, समर्पण व विश्वास का पर्व करवा चौथ मनाया। महिलाओं ने निर्जल-निराहार रहकर व्रत रखा। दिनभर भूखे-प्यासे रहकर रात को चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित किया व सुहाग के अमरत्व की कामना की। पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोला। बाद में पतियों ने उपहार दिए। इससे पहले महिलाएं दिनचर्या के कामकाज निपटाकर पर्व की तैयारियों में जुट गई। शाम को चन्द्रोदय से पहले सारी तैयारी कर पूजन शुरू किया। कहीं परिवार के साथ तो कहीं आसपड़ौस की महिलाओं के संग सामूहिक रूप से पूजन करती हुई नजर आई। छलनी की ओट से चांद को देख अर्घ्य अर्पित कर पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोला।
•Oct 21, 2024 / 06:27 pm•
नीरज गौतम
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