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पिता ने भेज दिया था गुना कोटा के छावनी इलाके में रहने वाले लड़के गिरिराज शर्मा से उसके परिजन खासे परेशान थे। हलवाई सज्जनलाल शर्मा की उन दिनों कोटा में अच्छी दुकान चलती थी और वह बेटे को भी काम सिखाना चाहते थे, लेकिन काम सीखने के बजाय गिरिराज मौज-मस्ती में ही मस्त रहता। उसके सिर पर क्रिकेट का भूत इस कदर सवार था कि स्कूल बंक करके मल्टी परपज स्कूल के ग्राउंड पर ही जमा रहता था। पढ़ाई की हालत ऐसी थी कि 22 साल की उम्र में दीक्षा लेने तक ग्रेजुएशन नहीं कर सका।
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फैशन का था खासा चस्का जैन मुनी बनने से पहले शांति सागर उर्फ गिरिराज शर्मा को फैशन का भी चस्का लग चुका था। आलम यह था कि गिरिराज का ग्रुप उन दिनों कोटा के लड़कों के सबसे फैशनेबल युवाओं में शुमार था। कपड़े हों या हेयर कट, नए ट्रेंड को सबसे पहले यही ग्रुप अपनाता था। बेटी की हरकतों से परेशान होकर पिता सज्जनलाल ने उन्हें अपने बड़े भाई के पास पढ़ने के लिए मध्यप्रदेश के गुना भेज दिया। कंपाउंडरी करने वाले बड़े भाई ने भी उसे सुधारने की तमाम कोशिशें की, लेकिन आखिर तक नाकाम रहे। इसी दौरान इसी दौरान माता-पिता की कोटा में मौत हो गई और वह वापस कोटा लौट आए।
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मंदसौर से पहले दीक्षा लेने गया था गुना गिरिराज शर्मा गुना रहने के दौरान ही जैन मुनियों के संपर्क में आया था। कोटा में चाय बेचने के दौरान जब उसे जिंदगी के तमाम बुरे अनुभव हुए तो जिंदगी जीने का आसान रास्ता तलाशने लगा और वर्ष 1993 में वो मंदसौर पहुंच गया। जहां आचार्य श्री कल्याण सागर महाराज के संपर्क में आया और धर्म परिवर्तन कर जैन संत की दीक्षा ले ली। गिरिराज ने मंदसौर से पहले गुना जाकर भी दीक्षा लेने की कोशिश की थी, लेकिन वहां उसे सफलता नहीं मिल सकी। दीक्षा लेने के बाद गिरिराज शर्मा का नाम बदलकर जैन मुनि शांति सागर हो गया।
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पुलिस को निकालना पड़ा था कोटा से बाहर गिरिराज शर्मा से जैन मुनि शांति सागर बनने के बाद भी उनका कोटा और विवादों से नाता जुड़ा रहा। शांति सागर वर्ष 2000 और 2009 में दो बार चतुर्मास के लिए कोटा आए। कोटा में रहने के दौरान वह जैन मुनियों की दिनचर्या को नहीं मानते थे और शाम को भी घूमने निकल जाते। जिसे लेकर जैन समाज के लोगों ने आपत्ति की तो विवाद हो गया। जैन समाज उन्हें कोटा से बाहर भेजना चाहता था, लेकिन शांति सागर कोटा रहने की जिद पर अड़े थे। जैन संत रात में विहार नहीं करते यह जानने के बावजूद हालात ऐसे हो गए थे कि जैन समाज के लोगों ने उन्हें रातों-रात पुलिस सुरक्षा में शहर से बाहर विहार के लिए भिजवाना पड़ा।