कोटा

Utility News: 2 मिनट में जानें स्कूल में कितना सुरक्षित है आपका बच्चा

अभिभावकों की चिंता को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुरक्षा मैनुअल तैयार किया है। इसके जरिए अभिभावक पता सकेंगे कि उनके बच्चे स्कूल में कितने सुरक्षित हैं।

कोटाJan 15, 2018 / 09:05 am

​Zuber Khan

कोटा . स्कूलों की मनमानी पर जल्द ही रोक लग सकती है। स्कूल में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने स्कूल सेफ्टी एण्ड सिक्योरिटी मैनुअल तैयार किया है। इसमें अभिभावकों को स्कूलों का सिक्योरिटी ऑडिट करने का अधिकार दिया गया है। ऑडिट के दौरान यदि कहीं कमी मिलती है तो शिक्षा विभाग उसे दुरुस्त कराएगा। केंद्र सरकार इस मैनुअल की देशभर के स्कूलों में पालना अनिवार्य करने जा रही है।
 

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एनसीपीसीआर की सदस्य प्रियंका कानूनगो ने बताया कि देश के सभी राज्यों में स्कूल संचालन के लिए बनाई गई गाइड लाइन को मिलाकर यह मैनुअल तैयार किया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें एक चेकलिस्ट दी गई है। इसके आधार पर स्कूल से जुड़ा कोई भी व्यक्ति चाहे वो पेरेंट्स, टीचर या स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का सदस्य हो खुद भी स्कूल का सिक्योरिटी ऑडिट कर सकता है और 2 मिनट में बच्चों की सुरक्षा को जांच सकते हैं।
 

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सबसे पहले सरकारी पर आएगा संकट
स्कूलों में सेफ्टी और सिक्योरिटी पर शोध करने वाले वीएमओयू के स्कूल ऑफ एज्युकेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अखिलेश कुमार और डॉ. पातांजलि मिश्रा ने बताया कि मैनुअल में स्कूल में बच्चों की सुरक्षा और सहूलियत के लिए क्या-क्या इंतजाम किए जाने हैं की पूरी सूची दी गई है। जिन पर हाड़ौती का एक भी सरकारी और आधे से ज्यादा निजी स्कूल खरे नहीं उतरते। इसलिए इन स्कूलों पर सबसे पहले संकट आएगा।
 

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सख्ती की तो करेंगे विरोध
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्यप्रकाश शर्मा ने एनसीपीसीआर की ओर से जारी मैनुअल को गैर जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधकों को प्रताडि़त करने के लिए सरकार ने नया रास्ता खोजा है। बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं, लेकिन सीसीटीवी कैमरे, अथॉरिटी की परमीशन-एनओसी, स्टॉफ पुलिस वेरिफिकेशन, टॉयलेट अटेंडेंस और पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम जैसी व्यवस्थाओं के लिए सरकार ने दबाव बनाया तो उसका खुला विरोध किया जाएगा।
 

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स्कूल में ये करने होंगे इंतजाम
स्कूल बिल्डिंग में सभी सेफ्टी सर्टिफिकेट सार्वजनिक जगह पर प्रदर्शित किए जाएं।
कैंपस में ज्वलनशील पदार्थ या टॉक्सिक मटेरियल का इस्तेमाल न हो।
दिव्यांग बच्चों के लिए प्रवेश द्वार से लेकर क्लारूम, टॉयलेट, कैंटीन, लाइब्रेरी और प्लेग्राउंड तैयार किए गए हों।
अलार्म सिस्टम, सेंट्रलाइज्ड पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम लगा होना चाहिए।
स्पोट्र्स एक्टिविटी के लिए तैनात स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन हो। स्पोट्र्स फैसिलिटी की कंपीटेंट अथॉरिटी से एनओसी भी ली जाए।
पूरी बिल्डिंग में फायर इक्स्टिंगग्विशर लगे हों। हर फ्लोर पर इमरजेंसी एग्जिट का इंतजाम हो। रेस्क्यू सर्विसेज डिपार्टमेंट की एनओसी भी ली जाए।
तीन साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए अलग-अलग टॉयलेट ब्लॉक बनाए जाएं। उनमें अटेंडेंस की भी व्यवस्था हो।
हर फ्लोर पर फस्र्ट एड बॉक्स हो। डॉक्टर ऑन कॉल की सुविधा हो, उसका नंबर भी स्कूल बोर्ड पर प्रदर्शित किया जाए।
सीसीटीवी कैमरों से स्कूल कैंपस की लगातार मॉनिटरिंग की जानी चाहिए।
स्कूल में स्वीमिंग पूल स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के हिसाब से ही
बने हों।
स्कूल बस के स्टॉफ का पुलिस वेरिफिकेशन होना चाहिए। ट्रांसपोर्ट का ठेका देने पर प्रतिबंध लगाया जाए।
बस में तैनात सभी कर्मचारियों को हलफनामा देने होगा कि वह कभी पॉक्सो में आरोपित नहीं रहे हैं।
बस में टीचर अटेंडेंट की मौजूदगी अनिवार्य।
स्कूल में ट्रॉमा मैनेजमेंट टीम होनी चाहिए। स्टूडेंट्स का रेग्युलर हेल्थ चेकअप होना चाहिए।
स्कूल का नजदीकी हॉस्पिटल से टाइअप हो, मेडिकल रूम में सभी आपातकालीन इंतजाम हों।

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