कोटा

Big News: पीने के लिए नहीं है पानी, राजनीति का अखाड़ा तैयार करने में खर्च कर डाले 5 करोड़

पैसे की तंगी बताकर स्वीमिंग पूल का निर्माण रोकने वाला कोटा विश्वविद्यालय प्रशासन 4.83 करोड़ रुपए से छात्र नेताओं के आलीशान दफ्तर बनवाने में जुटा है।

कोटाJan 16, 2018 / 08:30 pm

​Zuber Khan

कोटा . राजनीति एक बार फिर खिलाडिय़ों पर भारी पड़ गई। कोटा विश्वविद्यालय पानी की पाइप लाइन डालने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च नहीं कर सका, लेकिन 4.83 करोड़ रुपए से ‘राजनीति के अखाड़ा’ तैयार करने में जुटा है। पैसे की तंगी बताकर स्वीमिंग पूल का निर्माण रोकने वाला विश्वविद्यालय प्रशासन आरएसआरडीसी से विश्वविद्यालय परिसर में छात्र नेताओं के आलीशान दफ्तर बनवाने में जुटा है।
 

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हाड़ौती के तैराकों की प्रतिभा को निखारने के लिए यूजीसी ने 1.25 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मंजूर करने के साथ ही 62.50 लाख रुपए की पहली किस्त भी कोटा विश्वविद्यालय को जारी कर दी थी, लेकिन अफसरों की आपसी लड़ाई के चलते विश्वविद्यालय ढ़ाई साल तक इस पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सका। यूजीसी ने जब अनुदान खर्च का ब्यौरा मांगा तो इस लापरवाही की पोल खुली। इसके बाद विवि प्रशासन ने इस पैसे को दूसरे कार्यों में खर्च करने की अनुमति मांगी, जिसे खारिज कर यूजीसी ने इस महीने पूरा पैसा वापस ले लिया।
 

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ये कैसा बहाना
स्वीमिंग पूल का पैसा लौटाने की वजह बताते हुए विवि के आला अफसरों ने दलील दी कि विश्वविद्यालय परिसर में पानी का इंतजाम नहीं था। पीएचईडी के स्पेशल फीडर से पानी की पाइप लाइन डलवाने में करीब दो करोड़ रुपए का खर्चा आता। फिलहाल इतनी बड़ी रकम का इंतजाम विवि के पास नहीं था। इसलिए स्वीमिंग पूल का निर्माण नहीं हो सका।
 

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खेल पर भारी पड़ी राजनीति

पानी की पाइप लाइन के लिए आर्थिक तंगी जाहिर करने वाले विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने जब अक्टूबर 2016 में छात्र नेताओं ने आलीशान दफ्तर बनाने का प्रस्ताव भेजा तो उसे तत्काल मंजूरी दे दी गई। पानी के लिए पैसे की कमी का रोना रोने वाले विवि अधिकारियों ने 1871 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में राजनीति का अखाड़ा बनाने के लिए आनन-फानन में 4.83 करोड़ रुपए भी जारी कर दिए गए। आरएसआरडीसी इसका निर्माण कार्य तेजी से पूरा करने में जुटी है।

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कोटा विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ. संदीप सिंह चौहान ने बताया कि छात्रसंघ सचिवालय में छात्रनेताओं के दफ्तर बनाने के साथ ही छात्र कल्याण अधिष्ष्ठाता का कार्यालय और एक सभागार भी बनाया जा रहा है। छात्र हित में इसकी जरूरत थी इसलिए मंजूरी दी गई। पानी के लिए सरकार से पैसा मांग है, उसमें देरी होने के कारण स्वीमिंग पूल के प्रस्ताव को दो साल के लिए टाला था। यूजीसी ने अचानक पैसा वापस मांग लिया इसलिए समस्या खड़ी हुई।
 

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कोटा विवि बोम सदस्य एवं विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि छात्रनेताओं और डीएसडब्ल्यू कार्यालय के पास पहले से ही पर्याप्त जगह मौजूद हैं। विवि में सभागार भी है। इन चीजों पर पांच करोड़ रुपए खर्च करने से बेहतर होता कि पानी का इंतजाम करने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाते। जो भी हुआ कोटा के लिए बेहद शर्मनाक है। अफसरों की इस लापरवाही सरकार और सदन दोनों जगह उठाएंगे।
 

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