चिकित्सकों की हठधर्मिता के चलते मंगलवार को मानवता को शर्मसार करने वाली घटना घटी। शहर के ईएसआई अस्पताल के बाहर सर्दी में सड़क हादसे में घायल एक युवक तीन घंटे तक तड़पता रहा, लेकिन किसी ने उसे भर्ती तक नहीं किया। दर्द के मारे वह कराहता रहा। उसके मुंह से बार-बार यही निकलता रहा कि हे…भगवान मुझे बचा लो, लेकिन किसी ने उसकी पुकार नहीं सुनी।
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रेलवे स्टेशन गणेशपुरा कच्ची बस्ती निवासी साहिल (20) सोमवार रात अंडरब्रिज के पास से मोटरसाइकिल से घर लौट रहा था। तभी अज्ञात वाहन की टक्कर से वह घायल हो गया। सूचना पर परिजन उसे रात को एमबीएस अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां रातभर भर्ती रखा, लेकिन चिकित्सक नहीं होने से सही उपचार नहीं मिला। परिजन उसे मंगलवार सुबह ईएसआई अस्पताल लेकर गए। यहां वह सुबह 9 बजे पहुंचा, लेकिन एडमिटकार्ड नहीं था। इस कारण अस्पताल स्टाफ ने भर्ती नहीं किया।
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गिड़गिड़ाते रहे परिजन
साहिल आईसीआईसीआई बैंक में ठेकेदार का कर्मचारी है। वह एटीएम में राशि डालने का कार्य करता है। उसका ईएसआई कार्ड बना है, लेकिन रात को दुर्घटना होने पर परिजन एमबीएस लेकर गए। यहां से रैफर कर ईएसआई अस्पताल आए। इस कारण घर से कार्ड नहीं ला सके। अस्पताल स्टाफ से भी एडमिट कार्ड होने व मरीज को भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन स्टाफ ने मना कर दिया। बाद में किसी परिचित को घर भेजकर वाट्सएप पर दोपहर 12 बजे कार्ड मंगवाया। जब स्टाफ को भर्ती करने के लिए कहा तो चिकित्सक नहीं होने का हवाला देते साहिल को भर्ती करने से मना कर दिया।
ईएसआई अस्पताल अधीक्षक बी.एल. गोचर का कहना है कि अस्पताल में हड़ताल के चलते विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। इस कारण मरीज को भर्ती नहीं कर दूसरे अस्पताल में रैफर कर दिया।