कोटा

महंगाई की आंच रसोई पर, सिलेंडर के दाम आसमां पर

सब्सिडी बंद की, महंगा सिलेण्डर लेने को विवश हैं उपभोक्ता

कोटाJul 07, 2021 / 11:44 am

Ranjeet singh solanki

महंगाई की आंच रसोई पर, सिलेंडर के दाम आसमां पर

झालावाड़, झालरापाटन. रसोई गैस के बढ़ते दामों के चलते कई परिवारों ने सिलेंडर भरवाने बंद कर दिए है और इन्हे कोने में रख दिया है। उज्जवला योजना में कइ परिवारों ने जब कनेक्शन लिए थे तो रसोई के दाम ज्यादा नहीं थे, लेकिन बढ़ते दामों के चलते स्थिति यह हो गई है कि मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाने वालों के लिए सिलेंडर भरवाना भारी पडऩे लगा है। ऐसे में अब कई परिवारों की रसोई फिर से चूल्हे पर लकड़ी से बनने लगी है। रसोई का धुआं फिर से पूरे घर में भरने लगा है। शहर के संजय कॉलोनी व कुछ गांवो में उज्जवला योजना की हकीकत जानी तो यहां पर कई परिवार ऐसे सामने आए, जो सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे हैं। परिवारों का कहना है कि दाम इतने अधिक बढ़ गए है कि इससे कम में लकड़ी और उपलों से काम चल जाता है। एक साथ सिलेंडर के इतने पैसे देना उनके बूते के बाहर है। जिलेभर में उज्जवला योजना में गैस सिलेंडर लेने वाले करीब 1 लाख 10 हजार से अधिक परिवारों को सिलेंडर भरवाने में खासी परेशानी आ रही है, ऐसे में ज्यादातर के सिलेंडर खाली ही पड़े हुए है। जिले में उज्जवला योजना के तहत 1 लाख 10 हजार रसोई गैस कनेक्शन निशुल्क उपलब्ध करवाए गए थे। सब्सिडी बंद होने के साथ ही इनके दाम लगातार बढऩे और अब 860 रूपए हो जाने से करीब 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने रिफिलिंग करवाना बंद कर दिया है। जिससे इन उपभोक्ताओं को सरकार की निशुल्क योजना का लाभ कोरा सपना बनता जा रहा है। बाकी बचे 25 प्रतिशत उपभोक्ता भी भारी मन से सिलेंडर की रिफिलिंग करवा रहे है। कोरोना संक्रमण के बाद हर चीज महंगी हो गई है। खाने पीने का सामान पहले ही मंहगा था और अब उससे भी ज्यादा महंगा खरीदना पड़ रहा है। पहले जो सिलेंडर 450 रूपए में आ जाता था, उसे अब 860 रूपए में लेना पड़ रहा है। दुगुने दाम पर सिलेंडर खरीदने से घर का बजट बिगड़ गया है। मंहगाई के कारण दो वक्त की रोटी जुटाने में मुश्किलों को झेल रहे परिवारों के लिए कोरोना महामारी ने और परेशानियां खड़ी कर दी है। काम-धंध छूट गया और कईयों को जहंा काम करते थे, वहां से निकाल दिया गया। अब घर में बैठे लोग कइ महीनों से बेरोजगार है। लोग बताते है कि कोरोना ने सब कुछछीन लिया। परिवार को पालना मुश्किल हो गया। ऐसे में गैस सिलेंडर कहां से भरवाएं। जिले में उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर दिए गए थे, लेकिन रसोई गैस के दाम अधिक होने से गरीब परिवार अब सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे हैं। जिले में ऐसे उज्जवला के गैस कनेक्शनधारी 184058 परिवार है जिन्हे आर्थिक परेशानी के चलते गैस भरवाने में खासी परेशानी आ रही है।
मनोहर बाई गैस सिलेंडर के लगातार बढ़ रहे दामों के कारण गरीब तबके को उज्जवला योजना के अंतर्गत निशुल्क मिले सिलेंडर भरवाना मील का पत्थर लग रहा है। गांव की महिलाओं ने तो फिर से मिट्टी वाले चूल्हे की बाट देख ली है। अब सुबह व शाम खाना चूल्हों पर ही बन रहा है। कंडे और लकड़ी वाले कच्चे चूल्हों से उठने वाले धुंए से निजात दिलाने के लिए केन्द्र सरकार ने उज्जवला योजना के तहत घर घर निशुल्क गैस कनेक्शन दिए थे। जो अब सिर्फ घरों की शोभा बढ़ाते ही दिखाई दे रहे है। रथ बाई सरकार ने भले ही सिलेंडर महंगा कर दिया है, लेकिन पहले की भांति राशि सब्सिडी के रूप में खाते में दी जानी चाहिए। ताकि महंगे हुए सिलेंडर का बोझ आमलोगों पर न पड़े। 860 रूपए का सिलेंडर हर महीने खरीदेंगे तो घर कैसे चलाएंगे। सोनम गुप्ता कोरोना संक्रमण ने पहले ही सारे धंधे चौपट कर दिए है। जिससे सभी लोग परेशान है। जैसे तैसे लोग संभलने की कोशिश कर रहे है। तो महंगाई ने सभी को परेशान कर डाला। उसमें गैस सिलेंडर का महंगा होना भी घर की अर्थ व्यवस्था को बिगाडऩे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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