scriptमिशन रफ्तार : ऑटो व्हिसलिंग पर खरा उतरा ‘कवच’, रेल मंत्री ने किया निरीक्षण | Indian Railway's Project Mission Raftaar Implement Kavach System Successful Railway Minister Ashvini Vaishnav Inspected | Patrika News
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मिशन रफ्तार : ऑटो व्हिसलिंग पर खरा उतरा ‘कवच’, रेल मंत्री ने किया निरीक्षण

Indian Railway’s Project: मिशन रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा परियोजना के तहत नागदा-मथुरा खण्ड के मध्य 2665.14 करोड़ की लागत से कुल 545 किमी की दूरी में कार्य किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में कवच की संरक्षा एवं सुरक्षा दृष्टिकोण से सबसे अहम भूमिका है।

कोटाSep 25, 2024 / 01:03 pm

Santosh Trivedi

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ट्रेन में सवार होकर कवच प्रणाली की जानकारी लेते हुए व लोको पायलट से संवाद करते हुए।

Railway News: भारतीय रेल में मिशन रफ्तार के तहत नई तकनीक कवच प्रणाली की उपयोगिता से संरक्षा एवं सुरक्षा प्रणाली और ट्रेनों को स्पीड मिल रही है। इसी क्रम में केन्द्रीय मंत्री रेल अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कोटा मंडल के सवाई माधोपुर से इंद्रगढ़- सुमेरगंजमंडी स्टेशन तक कवच सिस्टम का लोको से ट्रायल रन कर निरीक्षण किया।
रेल मंत्री ने लोको पायलटों के साथ संवाद किया। उन्होंने सवाई माधोपुर-इंद्रगढ़ सुमेरगंज मंडी सेक्शन (36 किमी) में कवच का निरीक्षण और लोको परीक्षण किया, जिसके अंतर्गत समपार फाटक क्रमांक 148 पर ऑटो व्हिसलिंग, सवाई माधोपुर – कुशतला ब्लॉक सेक्शन में लोको ओवर स्पीड पर कवच कार्यप्रणाली की जांच की। रवांजना डूंगर स्टेशन के समीप रेड सिग्नल की स्थिति में सिग्नल पासिंग एट डेंजर रोकथाम परीक्षण, अमली स्टेशन के समीप 120 कि.मी. प्रतिघंटा के स्थाई गति प्रतिबन्ध की निगरानी एवं इंद्रगढ़ स्टेशन के एप्रोच पर लूप लाइन स्पीड कंट्रोल टेस्ट एवं उक्त रेल खण्ड के सभी सिग्नलों को लोको कवच स्क्रीन पर निरंतर अवलोकन करने का परीक्षण किया। इस ट्रायल रन के दौरान पश्चिम मध्य रेल की महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय, उत्तर पश्चिम रेल के महाप्रबंधक अमिताभ सहित पमरे के प्रमुख मुख्य विभागाध्यक्ष, कोटा के मण्डल रेल प्रबन्धक एवं मुख्य संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर(जीएसयू)/कोटा उपस्थित रहे।
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मिशन रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा परियोजना के तहत नागदा-मथुरा खण्ड के मध्य 2665.14 करोड़ की लागत से कुल 545 किमी की दूरी में कार्य किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में कवच की संरक्षा एवं सुरक्षा दृष्टिकोण से सबसे अहम भूमिका है। इसके लागू होने के बाद ट्रेन चालकों के द्वारा मानवीय भूल से सिग्नल को अनदेखा कर होने वाली सुरक्षा चूक की दुर्घटनाओं से निजात मिल जाएगी।

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