कोटा

सूरज निकलते ही निगम की यह सम्पत्ति बन जाती है जुआंरियों और सट्टेबाजों का अड्डा

कोटा. सूर्य की पहली किरण के साथ ही इस सामुदायिक भवन में अवैध गतिविधियां शुरु हो जाती है। शराबियों का जमावडा, जुआ व सट्टा यहां आम बात है।

कोटाNov 22, 2017 / 08:00 pm

abhishek jain

सामुदायिक भवन

कोटा .
नगर निगम ना तो शहर में ठीक से कचरा साफ करा सका है और ना ही गौशाला को ठीक से चला पा रहा है। समितियां भी अपनी कछुआ चाल के चलते कोई काम नहीं करा सकी है। अतिक्रमण के मामले में तो नगर निगम पंगू साबित हो चुका है। आईएएस अधिकारी के लगने के बाद लगा था की कुछ काम होगा लेकिन कप्तान की उदासीनता के चलते पूरा नगर निगम प्रशासन बोना साबित हो चुका है।
कोटा नगर निगम अपनी सम्पत्ति के प्रति कितना सजग है इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि नगर निगम को ये पता नहीं है कि हमारे कितने सामुदायिक भवन है और कहां है। एक सामुदायिक भवन तो ऐसा है जिसे नगर निगम बनाकर ही भूल गया।
 

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कोटडी भोई मोहल्ला स्थित कश्यप सामुदायिक भवन को बने 13 साल हो गए और आज दिन तक नगर निगम ने इसका एक रूपया भी किराया वसूल नहीं किया है। जबकी यहां सैकड़ों शादी, धार्मिक आयोजन व अन्य आयोजन हो चुके हैं। इसके साथ ही गेता वाले महाराज के पास स्थित राधा विलास का सामुदायिक भवन भी अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। नगर निगम इसे भी अभी तक अपने कब्जे में नहीं ले सका है।
 

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जुआ, सट्टा व शराबियों का गढ है ये सामुदायिक भवन

सूर्य की पहली किरण के साथ ही इस कश्यप सामुदायिक भवन में अवैध गतिविधियां शुरु हो जाती है। शराबियों का जमावडा, जुआ व सट्टा यहां आम बात है। इन्हें रोकने की जहमत पुलिस तक नहीं उठाती। इसके साथ ही जानवरों को बांधना, रोमियों की कारगुजारी भी यहां चलती है। कोई अवैध सामन रखना हो तो वह भी यहां रखकर लोग चले जाते हैं और उसके बाद वापस ले जाते हैं। शहर के बीचों बीच बने इस सामुदायिक भवन को चलाने वाले निगम प्रशासन की खिल्लियां उड़ा रहे हैं।
 

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लोगों से होती है अवैध वसूली

राजस्थान नगरीय आधारभूत विकास परियोजना के अंतर्गत 26 सितम्बर 2004 को कोटड़ी गोरधनपुरा सामुदायिक भवन का लोकार्पण पूर्व राज्य मंत्री स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास विभाग, प्रताप सिंह सिंघवी, संसदीय सचिव भवानी सिंह राजावत, महापौर ईश्वर लाल साहू द्वारा किया गया था। उसके बाद से इस सामुदायिक भवन का किराया नगर निगम को लेना था, लेकिन उसके बाद निगम इसे बनाकर ही भूल गया।
13 साल बीत जाने के बाद निगम को ये पता नहीं है कि ये हमारा सामुदायिक भवन है। जो लोग यहां ताश खेलते हैं या शराब पीते हैं वहीं लोग इस सामुदायिक भवन का किराया वसूल रहे हैं। इन 13 सालों में निगम को लाखों का चूना लग चुका है। कितने ही महापौर, पार्षद व अधिकारी बदले, नही बदला तो इस सामुदायिक भवन का स्वरूप नहीं बदला।
 

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ये हैं निगम द्वारा संचालित सामुदायिक भवन

निगम के पास 20 सामुदायिक भवन हैं जिसमें डॉ. जाकिर हुसैन, चन्द्रघटा, विकास भवन श्रीपुरा (बंद है), गोविंद नगर सामुदायिक भवन, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (बंद है), विज्ञान नगर विस्तार योजना, छावनी, इन्द्रगांधी नगर (बंद है), कंसुआ, श्रीराम नगर डीसीएम, महाराजा सूरजमल महावीर नगर (बंद है), लाडपुरा बीनबाजा, कुन्हाड़ी माताजी, झलकारी बाई श्रीपुरा कोली पाड़ा, खंड गांवडी, हुसैनी नगर, किशोरपुरा मेन रोड, बापू नगर स्टेशन (बंद है), नवल सामुदायिक भवन नयापुरा, शिवपुरा सामुदायिक भवन शामिल हैं।
 

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क्षतिग्रस्त हो चुका है भवन

नगर निगम को जब पता ही नहीं है कि ये हमारा सामुदायिक भवन है तो इसके बनने के बाद से अब तक इसमें कोई कार्य भी नहीं हुआ जिसके चलते ये क्षतिग्रस्त हो चुका है। दरवाजे टूट गए हैं, लोग झालियां, लोहे की खिड़कियां व अन्य सामान खोलकर ले गए। छत से पंखे गायब हो गए वहीं शौचालय के दरवाजे तक समाजकंठक ले गए।
राजस्व समिति चैयरमेन महेश गौतम लल्ली का कहना है कि यदि कोई ऐसा भवन है तो उस भवन को मुक्त कराया जाएगा और उसे राजस्व समिति के रिकोर्ड में शामिल किया जाएगा। इससे पूर्व भी चार भवनों को निगम ने मुक्त कराया है।

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