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उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोटा में कोचिंग करने वाले छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए अलग से कानून बनाने की जरूरत नहीं है। कोचिंग संस्थानों के लिए बनाई गई आचार संहिता और हॉस्टल एवं पीजी के लिए बनाई गई गाइड लाइन इसके लिए पर्याप्त है। बस जरूरत है कि जिला प्रशासन और पुलिस इनकी सख्ती से पालना कराए। माहेश्वरी ने बताया कि उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से बात की है कि वह कोचिंग और हॉस्टल्स का औचक निरीक्षण करें। जहां नियम-कायदों की पूरी पालना नहीं हो रही, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
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संस्थान भी करें निगरानी
उन्होंने कोचिंग संस्थानों से कहा कि वह बच्चे के हॉस्टल और पीजी के औचक निरीक्षण का इंतजाम करें, ताकि पता चल सके कि बच्चे किन हालातों में रह रहे हैं। इसके साथ ही स्टे्रस कम करने के लिए आयोजित होने वाली एक्टिविटीज और काउंसलिंग को नियमित तौर पर जारी रखें। बच्चों के साथ जितनी अप्रिय घटनाएं बढ़ेंगे संस्थानों को भी उतने ही मुश्किल दौर से गुजरना पड़ेगा।
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अभिभावक भी दें ध्यान
उन्होंने कहा कि बच्चों की आत्महत्या रोकने के लिए राजस्थान सरकार हर जरूरी कदम उठाएगी, लेकिन अभिभावकों से अपील करना चाहूंगी कि वह जबरदस्ती किसी बच्चे को कोचिंग करने के लिए कोटा नहीं भेजें। नियमित बच्चों के संपर्क में रहें और यदि उनके व्यवहार में कोई बदलाव महसूस करते हैं तो खुद आकर उसकी वजह जानने की कोशिश करें।