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125 साल बाद आ रही है ऐसी शुभ हरियाली अमावस्या, बन रहा है पंच महायोग

hariyali amavasya 2019 चार शुभ योग एक साथ रहेंगे

कोटाJul 31, 2019 / 06:48 pm

Suraksha Rajora

Hariyali Amavasya 2019

कोटा. अगस्त की पहली तारीख को सावन माह की अमावस्या है। इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस दिन चार शुभ योग एक साथ रहेंगे। ये योग हैं शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र। इन योगों में किए गए पूजा-पाठ जल्दी सफल होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। हरियाली अमावस्या पर पंच महायोग का शुभ योग बनेगा।
यह पंच महायोग लगभग 125 साल बाद बन रहा है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने हर तरह की मनोकामना का पूर्ति होती है।


ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि अमावस्‍या तिथि का प्रारंभ 31 जुलाई को सुबह 11.58बजे से होगा, जो 1 अगस्त को प्रात: 8.42 बजे तक रहेगा।
पितृ कार्य अमावस्या 31को रहेगी ओर देवकार्य अमावस्या या हरियाली अमावस्या का पर्व 1 अगस्त को मनाया जाएगा।

इस योग में मां पार्वती शिव जी की पूजा करने से वैसे तो सभी तरह की कामनाएं पूरी होती हैं लेकिन कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है और सुहागन महिलाओं का सुहाग अमर रहता है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष, शनि की दशा और पितृ दोष है। उन्हें शिवलिंग पर पंचामृत अवश्य चढ़ाना चाहिए।
इस दिन चीटियों को चीनी मिला हुआ आटा खिलाना शुभ माना जाता है। साथ ही झुला झुलने का भी महत्व है।
 

पितरों की याद में पौधारोपण करना चाहिए
इस तिथि पर पितरों के लिए पूजा-पाठ, श्राद्ध-तर्पण किया जाता है। पितरों को चढ़ाने वाले फूल सेवंती, अगस्त, तुलसी, भृंगराज, शमी, आंवला, श्वेत-पुष्प आदि के पौधे लगा सकते हैं। इनका रोपण करें और आगामी श्राद्धपक्ष में पितरों को अर्पित करें। इससे घर-परिवार में सुख बढ़ सकता है। पौधों के रूप में पूर्वजों की याद भी बनी रहेगी।
हरियाली अमावस्या वेदिक साधना में प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित करने का पर्व है। इस दौरान प्रकृति के पांच प्रमुख तत्व जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश का संरक्षण करने और इन्हें आगे बढ़ाने के लिए संकल्प लिया जाता है। यही कारण है कि भगवान शिव की इस माह में आराधना होती है। जल, पुष्प, बिल्व पत्र, फल आदि अर्पित किए जाता है। ये सब प्रकृति से प्राप्त चीजें हैं। ये हमें प्रकृति से जुड़े रहने का और संरक्षण करने का संदेश देती हैं।
जलवायु में परिवर्तन से होगी अच्छी बारिश
जलवायु में परिवर्तन का कारक बुध ग्रह है। अमावस्या पर सुबह 9.42 बजे से बुध ग्रह मार्गी होगा। इससे अच्छी बारिश की संभावना बनेगी। मान्यता है कि बुध अन्य ग्रहों की ऊर्जा को संरक्षित कर जलवायु में परिवर्तन करता है। वर्तमान में गुरु वक्री चल रहा है। वक्री रहते हुए कर्क राशि स्थित सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध और शुक्र से नवम-पंचम दृष्टि संबंध बनेगा। इसका असर भी मौसम पर दिखाई देगा।

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