संविदा पर लगे इन गार्ड व कर्मचारी का वेतन प्राचार्य आरएमआरएस से उठा रहे हैं। जबकि प्राचार्य को अपने घर पर गार्ड व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लगाने का अधिकार नहीं है, लेकिन इसके बावजूद एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उनके घर के कार्य कर रही है। उन्होंने आरकेपुरम में निर्माणाधीन आवास की सुरक्षा में भी अस्पताल के गार्ड लगा रखे हैं। निजी आवास पर पिछले चार माह से तीन गार्ड चौकीदारी कर रहे हैं।
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सरकार को पौने तीन लाख की चपत प्राचार्य के निजी आवास पर ड्यूटी कर रहे 3 गार्ड का अनुमानित चार माह का वेतन करीब 50 हजार बनता है। सरकारी आवास पर 1 साल से लगे 3 गार्ड का वेतन करीब 2 लाख रुपए बनता है। वहीं चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी का 4 माह का वेतन करीब 20 हजार रुपए है। इस मामले में किसी ठेकेदार ने संतोषप्रद जवाब नहीं दिया, लेकिन ये साफ तौर से सामने आया कि अधिकारियों की बात माननी पड़ती है, तभी उनके बिल पास होते हैं।
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गार्ड बोला-चार माह से लगा हूं डॉ. गिरीश वर्मा के निर्माणाधीन मकान में चल रहे कार्य के दौरान गार्ड बाबूलाल की आंख पर चोट लग गई थी। उसका काफी खून बहा था। गार्ड ने बताया कि वह चार माह से एक अन्य गार्ड जुगल किशोर के साथ यहां ड्यूटी कर रहा है। वेतन नए अस्पताल का ठेकेदार देता है। डॉ. वर्मा के घर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उर्मिला काम करती है, जबकि की ड्यूटी सर्जरी विभाग के ऑफिस में है। दिवाली पर उसके नहीं आने से ऑफिस की सफाई स्टॉफ को करनी पड़ी।
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पूछा तो बोले -हटा देंगे जब प्राचार्य डॉ. गिरीश वर्मा से निजी आवास पर सरकारी गार्ड और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात करने के बारे में पूछा गया तो वो बोले कि गार्ड लगे हैं तो हटवा देंगे। मैं दिखवाता हूं। हालांकि उन्होंने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लगे होने से इनकार कर दिया।
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