नवाचार और अपडेशन के चक्कर में कोटा विश्वविद्यालय ने बीकॉम और एमकॉम फाइनल ईयर का सिलेबस बदलकर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की पढ़ाई शुरू करने का फरमान तो जारी कर दिया, लेकिन सत्र शुरू होने के 6 महीने बाद भी विषय संबंधित पाठ्य पुस्तकें नहीं बता सका। किताबें न मिलने के कारण हजारों छात्र परेशानी में है।
सरकार ने एक जुलाई से जीएसटी लागू तो कर दिया लेकिन प्रावधान स्पष्ट करने में महीनों लगे। टैक्स एक्सपर्ट तक की उलझन खत्म नहीं हुई कि कोटा विश्वविद्यालय ने जीएसटी को बीकॉम और एमकॉम अंतिम वर्ष के पाठ्यक्रमों का हिस्सा बना दिया।
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विश्वविद्यालय ने बीकॉम अंतिम वर्ष में कराधान और एमकॉम फाइनल ईयर में डायरेक्ट एंड इनडायरेक्ट टैक्स के नाम से नया पाठ्यक्रम शामिल किया। स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए एक जैसा पाठ्यक्रम बना डाला। एकेडमिक काउंसिल व बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट ने भी इसे पास कर दिया।
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मुश्किल में छात्र, कैसे करें पढ़ाईबदले पाठ्यक्रम पर शिक्षक बीकॉम छात्रों को किताबों का नाम नहीं बता सके। एमकॉम के छात्रों सुझााई 9 में से 4 किताबों में जीएसटी का जिक्र था। कॉमर्स कॉलेज के छात्र राकेश शर्मा बताते हैं कि चारों किताबों में 20 फीसदी पाठ्यक्रम भी नहीं मिला।
इधर, कॉमर्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ. कपिल देव शर्मा बताते हैं कि काफी कोशिश के बाद भी शिक्षक पूरे सिलेबस का कंटेंट नहीं जुटा पाए। खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा। पूर्व प्राचार्य डॉ. एसएन गर्ग कहते हैं कि पढ़ाई ही नहीं हुई तो छात्रों के पास होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
दिक्कत आए तो सीए-एक्सपर्ट से बात करें
कोटा विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा का कहना है कि जीएसटी पर पाठ्यपुस्तकें पूरे देश में कहीं भी उपलब्ध नहीं। नेट पर मैटर है, बच्चे डाउनलोड करें। दिक्कत आए तो सीए और एक्सपर्ट से बात करें। हम भी सेमिनार कर रहे हैं उसमें शामिल हो जीएसटी समझें।
कोटा विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा का कहना है कि जीएसटी पर पाठ्यपुस्तकें पूरे देश में कहीं भी उपलब्ध नहीं। नेट पर मैटर है, बच्चे डाउनलोड करें। दिक्कत आए तो सीए और एक्सपर्ट से बात करें। हम भी सेमिनार कर रहे हैं उसमें शामिल हो जीएसटी समझें।