2 साल तक होगी जांच विभाग 2 साल तक स्थानिक जल में रेडिएशन के प्रभाव तथा जल में उपस्थित विकिरणीय तत्वों की मात्रा का आकलन करेगा। कोटा विश्वविद्यालय का केमिस्ट्री डिपार्टमेंट कोटा, बून्दी, बारां, झालावाड़ और चित्तौडग़ढ़ जिले में परमाणु ऊर्जा सृजन में प्रयुक्त किये जा रहे यूरेनियम का स्थानिक जल में रेडिएशन का प्रभाव और जल में उपस्थित विकिरणीय तत्वों की मात्रा का आकलन भी करेगा।
ताकि आशंकाओं का समाधन हो दो साल तक चलने वाले इस रिसर्च प्रोजेक्ट पर बोर्ड ऑफ रिसर्च इन न्यूक्लियर साइंस (बीआरएनएस) 27.51 लाख रुपए खर्च करेगा। इस रिसर्च के जरिए यूरेनियम रेडिएशन का पानी पर पडऩे वाले रसायनिक प्रभावों और रिएक्शन का अध्ययन कर परमाणु विकिरण से जुड़ी नई जानकारियां प्राप्त होगी, ताकि रेडिएशन को लेकर लोगों की आशंकाओं का जबाव दिया जा सके। कैमिस्ट्री डिपार्टमेंट की प्रो. आशु रानी ने बताया कि डॉ सुशील शर्मा के साथ-साथ रिसर्च स्कॉलर इस प्रोजेक्ट पर
काम करेंगे।
सामाजिक संठगनों ने जतार्इ आशंका शहर में पिछलें कई सालाें से सामाजिक संठगनों द्वारा कोटा के पानी में रेडिएशन होने की आशंका जताई जा रही थी। संगठनों का मानना है कि कोटा सहित आसपास के सभी परमाणु संयंत्रों की वजह से शहर के वातावरण को नुकसान हो रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर पानी में देखने को मिल रहा है। समस्या गंभीर होने से पहले ही उचित कदम उठाने के लिए संगठनों ने सरकार से मांग की, कि यहां के पानी की जांच की जाए। इस मांग को सरकार ने स्वीकार कर लिया।