केन्द्र सरकार के उपक्रम आईएल में तालाबंदी के बाद अब सरकार की अधिकृत कंपनी ने यहां रखी मशीनरी और अन्य चल संपत्ति को ई-टेन्डरिंग के माध्यम से करीब सवा दो करोड़ रुपए में बेच दिया है। इसकी पिछले करीब पांच माह से प्रक्रिया चल रही थी। पहली बार में अचल संपत्ति की कीमत करीब एक करोड़ रुपए आई, लेकिन सरकार ने इसे नहीं बेचा। कई बार की प्रक्रिया के बाद करीब सवा दो करोड़ रुपए में बेचान कर दिया। इसमें कोटा के अलावा, दिल्ली, जयपुर , मुंबई और वडोदरा स्थित कार्यालय की चल संपत्ति शामिल होना बताया जा रहा है। भारी उद्योग मंत्रालय की सहमति से सरकारी क्षेत्र की कंपनी ने इसका बेचान किया है।
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कांग्रेस ने की पूरे सौदे की जांच की मांग कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शांति धारीवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि अरबों की मशीनों को इतने कम दामों में क्यों बेचा गया। उन्होंने सरकार से बेचान प्रक्रिया की जांच करने की मांग की है। आरोप लगाया कि सरकार ने जिस कंपनी को मशीनें खरीदने के लिए अधिकृत किया उसने अपने विश्वास की कुछ कंपनियों की लिस्ट जारी कर दो-तीन बार ई टेन्डरिंग की प्रक्रिया के माध्यम से खारिज करवाया और तीसरी बार में अरबों की आईएल फैक्ट्री की मशीनों को महज सवा दो करोड़ में बेचान कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस सड़क पर उतरेगी।
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अब अचल संपत्तियां बेचने की तैयारी केन्द्र सरकार ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को अधिकृत कर जयपुर के सीतापुरा, मालवीय नगर में आईएल की सम्पत्ति के साथ दिल्ली मुम्बई सहित अन्य जगहों की बची संपत्ति को भी बेचने की तैयारी कर ली है। वहीं चल संपत्ति बेचने के मामले में आईएल कोटा के सीएमडी एमपी ईश्वर ने सफाई देते हुए कहा कि आईएल की ज्यादा पुरानी मशीनरी को ही बेचा गया है, जो अच्छी मशीनें थी उन्हें आईएल के पल्लकड़ स्थित प्लांट में उपयोग के लिए भेज दिया है। पुरानी मशीनरी को भी 6-7 बार ई-टेंडरिंग करके बेचा गया और अच्छे दाम मिलने पर ही सरकारी की अधिकृत कंपनी ने बेचान किया है। कम दामों के आरोप निराधार हैं। संपत्तियां बेचने की जानकारी पीएमओ को भी दी गई है।