मेडिकल कॉलेज से संबद्ध न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जेके लोन व एमबीएस में इन दिनों सामान्य रूप से काम आने वाली दवाओं का टोटा है। कॉलेज प्रशासन की उदासीनता के चलते पिछले ढाई माह से स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद नहीं हो सकी। लोकल दवा खरीद का ठेका फरवरी में खत्म हो गया।
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इसके बाद ठेके को 6 माह के लिए आगे बढ़ा दिया था, जो सितम्बर में खत्म हो गया। अब कॉलेज प्रशासन के पास लोकल दवा खरीद का ठेका बढ़ाने का अधिकार नहीं रहा। ऐसे में करीब ढाई माह से दवाइयों की खरीद नहीं होने से मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां नहीं मिल पा रही। मजबूरन उन्हें बाहर से महंगे दामों पर दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। यह भी पढ़ें
पद्मावती के विरोध में करणी सेना प्रदेशाध्यक्ष ने कहा दीपिका पादुकोण की काट देंगे नाकइमरजेंसी में नहीं आ रही एनएस की बोतलें अस्पतालों में भर्ती होने के साथ ही हर मरीज को नोर्मल सेलाइन (एनएस) व रिंगल लेक्टोस (आरएल) की बोतलें चढ़ाई जाती हैं। महज 5 से 10 रुपए की इन बोतलों को ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को 30 से 40 रुपए में बाहर से खरीदना पड़ रहा है। वहीं, इमरजेंसी में काम आने वाले केथेटर भी कई माह से अस्पताल में भी उपलब्ध नहीं है, जो दवाएं आरएमआरएस से आ रही हैं उन्हीं से काम चलाया जा रहा है।
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चम्बल हॉस्टल असोसिएशन ने किया 15 दिन में लैण्डमार्क सिटी को चकाचक करने का एलान अधीक्षक एमबीएस डॉ. पीके तिवारी का कहना है कि स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद के लिए ठेके की प्रक्रिया चल रही है जो शीघ्र ही हो जाएगा। Read More: पद्मावती फिल्म के विरोध में सिनेमा हॉल में तोडफ़ोड़ के आरोपितों को भेजा जेल तो करणी सेना ने दी यह चेतावनी