दरअसल, एलएचबी तकनीक के कोच को रेलवे सबसे पहले वर्ष 2000 में जर्मनी से लाया। इसके बाद कपूरथला में इन आधुनिक कोच का निर्माण शुरू हो गया। अब भारतीय ट्रेनों के चेन्नई में बनने वाले पुराने कोचों को आईसीएफ कोच से इन आधुनिक एलएचबी कोच से बदला जा रहा है। यह पुराने कोच से हल्का, कम शोर करने वाला और आधुनिक ***** ब्रेक से अपडेट कोच है। आसानी से पहचान के लिए रेलवे ने इनका रंग लाल रखा है, जबकि पुराने आईसीएफ कोच नीले रंग के है। एलएचबी कोच में सस्पेंशन भी आईसीएफ से दोगुने लगाए गए है। दो एलएचबी कोच को सेंट्रल कपलिंग से जोड़ा जाता है। इससे कोच अधिक मजबूत व कम वाइब्रेशन की सुविधा देते है।
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अग्नि सुरक्षा पर जोर
रेल मंत्रालय का अग्नि सुरक्षा पर विशेष जोर है। इससे पहले रेलवे में ज्वलनशील वस्तुओं का परिवहन प्रतिबंधित है। इसके साथ ही पेंट्रीकार से गैस सिलेंडर हटाए जा चुके हैं। बीडी, सिगरेट का बेचान व उपयोग भी बंद है। ऐसे में कोच में धूम्रपान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नए एलएचबी कोच भी होंगे अपडेट
अब तक एलएचबी कोच में भी स्मोक डिटेक्टर की सुविधा नहीं थी। ऐसे में इस सभी कोच में भी स्मोक डिटेक्टर लगाए जाएंगे, जबकि नए कोच में स्मोक डिटेक्टर लगाए जाने का काम शुरू कर दिया गया है। पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल, जयपुर, जबलपुर में करीब पौने दो सौ कोच में ये स्मोक डिटेक्टर हटाए जाएंगे।