कोटा

Kisan Andolan: देखती रह गई पुलिस, किसानों ने कर डाला शक्ति प्रदर्शन

चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा होने के बावजूद बेखौफ किसान कोटा की सड़कों पर उतर पड़े। बूंदी, झालावाड़, बांरा और कोटा के किसानों ने एकजुट होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। किसानों ने सरकार को खुलेआम चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं सुनी गई तो सरकार की नींद हराम कर देंगे।

कोटाJun 17, 2017 / 06:16 pm

​Vineet singh

Farmers protest in kota

लहसुन का लागत मूल्य और सरसों का समर्थन मूल्य नहीं मिलने से नाराज हाड़ौती के किसानों ने शनिवार को कोटा की सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद किसानों का हौसला कम नहीं हुआ और उन्होंने संभागीय आयुक्त कार्यालय पहुंचकर सरकार को खुली चेतावनी तक दे डाली। 
शनिवार को बूंदी से पड़ी संख्या में किसान कोटा पहुंचे और संभागीय आयुक्त कार्यालय तक पैदल रैली निकाली। टीलेश्वर स्थित मानव सेवा भवन में किसानों ने भारत माता के चित्र की पूजा की। उसके बाद किसानों की रैली शुरू हुई।
 रैली में किसान देश में वहीं रहेगा जो किसानों के साथ रहेगा, देश का हम भंडार भरेंगे, लेकिन कीमत पूरी लेंगे जैसे नारे लगाते हुए चल रहे थे। किसानों की तादाद इतनी ज्यादा थी कि वह जिधर से गुजरे उधर ही जाम लग गया। संभागीय आयुक्त कार्यालय पहुंचकर रैली महापड़ाव में तब्दील हो गई। 
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सरकार की नींद हराम कर देंगे 

महापड़ाव में भारतीय किसान संघ के प्रांतीय वक्ताओं ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय रहते लहसुन का उचित मूल्य व सरसों व अन्य जिंसों की समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं की गई तो किसान सरकार की नींद हराम कर देंगे। किसानों की आवाज से सरकार के कान नहीं खुले तो मजबूरन किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ेगा और हाड़ौती को बंद करना पड़ेगा। 
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भीख नहीं अपना हक मांग रहे हैं 

भारतीय किसान संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रामनाथ मालव ने कहा कि किसान सरकार से भीख नहीं अपना हक मांग रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की आय दुगुनी करने का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। किसानों का ऋण दुगुना व चौगुना हो रहा है। इसी के चलते किसानों को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ रहा है। प्रांत के उपाध्यक्ष अमर लाल ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन सरकार ने शिक्षा व उद्योग नीति लागू की, लेकिन किसान व कृषि नीति आज तक लागू नहीं की। स्वामीनाथन आयोग बनाया, लेकिन उसे भी लागू नहीं किया।

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