इनकी चली गई जान डेंगू से डीसीएम निवासी दिलखुश मीणा की मौत भी झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में हुई थी। दिलकुश की मां ने बताया कि दिलखुश को सबसे पहले पास के ही झोलाछाप डॉक्टरों को दिखाया था, लेकिन सुधार की बजाय उसकी तबीयत और बिगड़ गई। बाद में वे उसे लेकर दूसरे अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। इस बाबत जब सीएमएचओ डॉ. आरके लवानिया से बात की गई तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया।
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नहीं दे पाते सही उपचार प्रेमनगर द्वितीय निवासी मुकेश मेघवाल ने बताया कि बुखार आने पर सबसे पहले उन्होंने पास में संचालित राजदीप क्लिनिक पर दिखाया। करीब पांच दिन यहां इलाज चला, लेकिन ठीक होने के बजाय तबीयत और बिगड़ गई। बाद में झोलाछाप डॉक्टर ने उसे किसी बड़े अस्पताल में दिखाने के लिए कहा। उसका नए अस्पताल में दो माह तक इलाज चला। उसे पलटकर दो बार बुखार आया है। उसने बताया कि उसकी पत्नी व अन्य परिवार के सदस्यों को भी इसी क्लिनिक पर दिखाया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। प्रेमनगर निवासी राकेश पेंटर ने बताया कि उन्हें बुखार आया। सबसे पहले वे पास के झोलाछाप क्लिनिक पर दिखाने गए। वहां इलाज चलता रहा। जब प्लेटलेट्स ज्यादा डाउन हो गई तब वे दूसरे अस्पताल में दिखाने के गए। अच्छा रहा समय रहते पता चला गया वरना इनके चक्कर पर जान चली जाती।
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डेंगू से महिला की मौत, 25 नए केस कोटा में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ रहा है। एक दिन में बीस से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। मंगलवार को डेंगू से एमबीएस अस्पताल में एक महिला की मौत हो गई। स्टेशन स्थित नेहरू नगर निवासी 40 वर्षीय करुणा का पहले निजी अस्पताल में उपचार चला। उसके बाद परिजन उसे 8 अक्टूबर को एमबीएस अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां कार्ड टेस्ट में उसे डेंगू आया। उपचार के दौरान मंगलवार को उसकी मौत हो गई। उधर, डेंगू के 25 नए केस सामने आए हैं। इनमें 23 कोटा के, 1 बूंदी व 1 मध्यप्रदेश के अशोक नगर का मरीज शामिल है।