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कोटा

#sehatsudharosarkar: गली-गली मौत बांट रहे झोलाछाप, आंखें मूंद बैठा चिकित्सा विभाग

कोटा की गलियों में सरेआम खुली झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें बीमारियों के डंक को और भी भयावह बना रही है, लेकिन चिकित्सा विभाग आंखें मूंदे बैठा है।

कोटाOct 11, 2017 / 11:52 am

​Vineet singh

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Fake doctor in kota

कोटा में डेंगू, मलेरिया व अन्य मौसमी बीमारियों में लोगों के स्वास्थ्य बिगाडऩे में झोलाछाप भी एक प्रमुख कारण है। ये रोगियों को ठीक करने की जगह उनका दर्द बढ़ा देते हैं और अंतत: मरीज की जान तक चली जाती है, लेकिन चिकित्सा विभाग इन सबसे बेखबर आंखें मूंदें बैठा है। पत्रिका टीम ने मंगलवार को डीसीएम क्षेत्र पहुंची। क्षेत्र में डेंगू के पैर पसारने का एक बड़ा कारण सामने आया झोलाछाप चिकित्सक। यहां हर गली-मोहल्ले में झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें बेधड़क संचालित हो रही है। मौसमी बीमारियों में इनकी भी पौ-बारह हो रही है। कमोबेश अन्य क्षेत्रों की भी यहीं स्थिति है।
 

बिना डिग्री दे रहे दवा

डीसीएम क्षेत्र में इन्द्रा गांधी नगर, प्रेमनगर, प्रेमनगर द्वितीय, तृतीय व गोविंद नगर समेत अन्य जगहों में हर गली में झोलाछाप दुकानें संचालित कर रहे हैं। इनके पास एमबीबीएस तो क्या साधारण स्नातक तक की डिग्री भी नहीं होगी। जबकि चिकित्सा विभाग के नियमानुसार एक व्यक्ति एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद रजिस्ट्रेशन कराकर स्वयं का क्लिनिक चला सकता है। मरीजों ने बताया कि इन क्लिनिक पर दिखाने में एक मरीज से एक बार में 300 से 500 रुपए तक वसूल कर लेते हैं। इन दिनों मौसमी बीमारियों के होने के कारण ये जमकर चांदी कूट रहे हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता।
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इनकी चली गई जान

डेंगू से डीसीएम निवासी दिलखुश मीणा की मौत भी झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में हुई थी। दिलकुश की मां ने बताया कि दिलखुश को सबसे पहले पास के ही झोलाछाप डॉक्टरों को दिखाया था, लेकिन सुधार की बजाय उसकी तबीयत और बिगड़ गई। बाद में वे उसे लेकर दूसरे अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। इस बाबत जब सीएमएचओ डॉ. आरके लवानिया से बात की गई तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया।
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नहीं दे पाते सही उपचार

प्रेमनगर द्वितीय निवासी मुकेश मेघवाल ने बताया कि बुखार आने पर सबसे पहले उन्होंने पास में संचालित राजदीप क्लिनिक पर दिखाया। करीब पांच दिन यहां इलाज चला, लेकिन ठीक होने के बजाय तबीयत और बिगड़ गई। बाद में झोलाछाप डॉक्टर ने उसे किसी बड़े अस्पताल में दिखाने के लिए कहा। उसका नए अस्पताल में दो माह तक इलाज चला। उसे पलटकर दो बार बुखार आया है। उसने बताया कि उसकी पत्नी व अन्य परिवार के सदस्यों को भी इसी क्लिनिक पर दिखाया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। प्रेमनगर निवासी राकेश पेंटर ने बताया कि उन्हें बुखार आया। सबसे पहले वे पास के झोलाछाप क्लिनिक पर दिखाने गए। वहां इलाज चलता रहा। जब प्लेटलेट्स ज्यादा डाउन हो गई तब वे दूसरे अस्पताल में दिखाने के गए। अच्छा रहा समय रहते पता चला गया वरना इनके चक्कर पर जान चली जाती।
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डेंगू से महिला की मौत, 25 नए केस

कोटा में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ रहा है। एक दिन में बीस से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। मंगलवार को डेंगू से एमबीएस अस्पताल में एक महिला की मौत हो गई। स्टेशन स्थित नेहरू नगर निवासी 40 वर्षीय करुणा का पहले निजी अस्पताल में उपचार चला। उसके बाद परिजन उसे 8 अक्टूबर को एमबीएस अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां कार्ड टेस्ट में उसे डेंगू आया। उपचार के दौरान मंगलवार को उसकी मौत हो गई। उधर, डेंगू के 25 नए केस सामने आए हैं। इनमें 23 कोटा के, 1 बूंदी व 1 मध्यप्रदेश के अशोक नगर का मरीज शामिल है।

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