कोचिंग करने के लिए कोटा आ रहे बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। चाहे वह कितना भी रसूखदार क्यों न हो। जिला प्रशासन और आयोग ने कोचिंग संस्थानों, हॉस्टल्स और पीजी के लिए गाइड लाइन बनाई है। इसकी सभी को पालना करनी चाहिए। राजस्थान पत्रिका में हॉस्टल्स के हालात का खुलासा होने के बाद यह बात बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने कही।
यह भी पढ़ें
भौरां गांव की 70% आबादी हुई चर्म रोग की शिकार, खुजलाते-खुजलाते हुए लहुलुहान
मनन चतुर्वेदी ने कहा कि गाइड लाइन बनाने के बाद जिला और पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए गए थे कि वह इसकी पालना सुनिश्चित कराएं। जिला प्रशासन को कमेटियां गठित कर निरीक्षण कराने और खामियां मिलने पर उन्हें ठीक कराने के लिए भी कहा गया था। कमेटियों ने निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट भी दी है। इसके बावजूद हॉस्टल्स और पीजी में बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है तो यह बेहद गंभीर मसला है। इस पर आयोग सख्त कदम उठाएगा।
Read More: Breaking News: अब आप कोटा के नटराज टॉकिज में नहीं देख पाएंगे फिल्म…जानिए क्या है वजह
सीडब्ल्यूसी से कराएंगे जांच मनन ने कहा कि सीडब्ल्यूसी को हॉस्टल्स और पीजी के हालात देखने भेजा जाएगा। बेसमेंट में किचन चलाने वालों के साथ ही अग्निशमन यंत्र न रखने वालों, बायोमेट्रिक और नाइट अटेंडेंस न लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा से किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
सीडब्ल्यूसी से कराएंगे जांच मनन ने कहा कि सीडब्ल्यूसी को हॉस्टल्स और पीजी के हालात देखने भेजा जाएगा। बेसमेंट में किचन चलाने वालों के साथ ही अग्निशमन यंत्र न रखने वालों, बायोमेट्रिक और नाइट अटेंडेंस न लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा से किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
Read More: यात्रीगण कृप्या ध्यान दें…कोटा जंक्शन पर आने वाली ये ट्रेनें हैं 15-15 घंटे लेट
सराहनीय पहल मनन ने कहा कि राजस्थान पत्रिका ने बदहाली की पोल खोलकर सराहनीय काम किया है। अखबार की जिम्मेदारी खामियों को उजागर करना है, ताकि उनमें सुधार किया जा सके। बाल संरक्षण अधिकार आयोग इस मामले में बेहद गंभीर है। बच्चों को प्रोत्साहित करने और उनकी देखभाल के लिए सकारात्मक माहौल बनाने के लिए कोटा में आगे भी रचनात्मक काम किए जाएंगे।
सराहनीय पहल मनन ने कहा कि राजस्थान पत्रिका ने बदहाली की पोल खोलकर सराहनीय काम किया है। अखबार की जिम्मेदारी खामियों को उजागर करना है, ताकि उनमें सुधार किया जा सके। बाल संरक्षण अधिकार आयोग इस मामले में बेहद गंभीर है। बच्चों को प्रोत्साहित करने और उनकी देखभाल के लिए सकारात्मक माहौल बनाने के लिए कोटा में आगे भी रचनात्मक काम किए जाएंगे।