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4 साल में सिर्फ 735 को रोजगार भाजपा ने सरकार बनाते समय युवाओं को 15 लाख से ज्यादा नौकरियां देने का ख्वाब दिखाया था, लेकिन हकीकत बेहद डरावनी है। पिछले 4 साल में रोजगार विभाग में 4,63,241 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया। जिनमें से यह विभाग सिर्फ 735 लोगों की ही नौकरी लगवा सका। रोजगार कार्यालय के आंकड़ों पर यकीन करें तो प्रदेश के 16 जिले ऐसे हैं जहां साढ़े तीन साल में नियोजन शून्य है। सबसे अधिक नियोजन अलवर में 239 है, जो कुल नियोजन का 30 प्रतिशत के करीब है। दूसरे नंबर पर अजमेर में 105 है। जबकि राजधानी जयपुर में सिर्फ 59 लोगों को ही रोजगार मिल सका है। जबकि सरकार इन दफ्तरों में तैनात भारी-भरकम लवाजमें पर बीते 4 साल में 349 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।
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खादी पद भी नहीं भर सकी ये सरकार पहले तीन साल में महज 71,172 नौकरियां ही दे सकी। जो बामुश्किल इस साल बढ़कर एक लाख के नजदीक पहुंची हैं। जबकि इन तीन सालों में तमाम विभागों में 2,66,355 पद खाली हुए। जिन्हें सरकार नहीं भर सकी। वहीं नौकरी मांगने वाला बनने के बजाय नौकरी देने की कोशिश में जुटे युवाओं के सपनों पर भी पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। प्रदेश के युवाओं ने जब नौकरी मांगने के बजाय देने की भी कोशिशि की तो बैंक विलेन बन गए। उद्योग विभाग के जरिए पिछले 8 महीनों में नए उद्योग स्थापित करने के लिए 10,618 लोगों ने आवेदन किए। जिनमें से महज 879 लोगों को लोन मिला। जयपुर में तो सिर्फ 13 ही लोगों का लोन पास हुआ।
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भत्ते के भरोसे युवा युवाओं के लिए रोजगार तलाशने में नाकाम रहे इस विभाग के पास फिलहाल एक ही काम बाकी है, रोजगार भत्ता बांटने का। पिछले चार साल में 89 हजार से अधिक बेरोजगारों को भत्ता दिया जा चुका है। अक्षत योजना के तहत 1 अप्रैल 2017 से पुरुष बेरोजगार को 650 रु. प्रतिमाह और महिला व विशेष योग्यजन बेरोजगार को 750 रु. प्रतिमाह भत्ता देने का प्रावधान है। इस तिथि से पहले महिला-पुरुष को 500 रु. और विशेष योग्यजन को 600 रु. बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा था। पिछले 4 सालों में 89978 बेरोजगारों को इस योजना का लाभ मिला है। भत्ता स्नातक बेरोजगारों को 2 साल तक दिया जाता है।