सर्दी की सारी रातें बिजली के नाम विद्युत निगम ने रोटेशन सिस्टम के तहत दिन में 6 घंटे व रात में 7 घंटे किसानों को थ्री फेज बिजली उपलब्ध कराने का सिस्टम तय कर रखा है। इसमें किसानों की मांग के अनुसार बिजली आपूर्ति का रोटेशन निर्धारित किया जाता है। एक सप्ताह दिन में तो दूसरे सप्ताह रात में थ्री फेज बिजली दी जाती है। दिन में तो किसान को सिंचाई करने में कोई परेशानी नहीं आती। लेकिन, जब रात में थ्री फेज बिजली का रोटेशन शुरू होता है तो किसान को पूरी रात खेत में रहना पड़ता है। क्योंकि रात 10 बजे से विभाग द्वारा फीडर से थ्री फेज बिजली आपूर्ति शुरू की जाती है। जिसे तड़के पांच बजे तक देने का समय निर्धारित रहता है। अगर रात दो बजे भी फीडर ट्रिप मार गया, या फिर लाइन में फॉल्ट आ गया तो रात में कोई भी लाइन मैन ठीक करने नहीं आता। एेसे में किसान दुबारा थ्री फेज बिजली आने के इंतजार में पूरी रात भी खेत में ही रतजगा करता है।
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कम बारिश से फसलें रोगग्रस्त धनिया रामगंजमण्डी क्षेत्र की प्रमुख फसल है। कम वर्षा के कारण खेतों में नमी नहीं होने से फसलों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। चना की फसल रोग ग्रस्त हो चुकी है। अभी सिंचाई जरूरी है। रामगंजमण्डी के किसान संघ प्रतिनिधि गोपाल राठौर, सत्यनारायण धाकड़ सहित किसानों का कहना है कि कुओं में पानी का भराव कम है। यदि रात को मिलने वाली 6 घण्टे की विद्युत आपूर्ति के स्थान पर दिन में दो-तीन घण्टे आपूर्ति की जाए तब भी किसान सिंचाई कर सकता है। खैराबाद पंचायत समिति में पिछले दिनों जनसुनवाई में मामला उठा तो अधिकारियों ने सरकार के आदेश का हवाला देते हुए दिन में सप्लाई देने में असमर्थता जताई थी।
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सरकार का फैसला किसानों पर पड़ रहा भारी सांगोद के कई गांवों में रात में थ्रीफेज बिजली आपूर्ति दो ब्लॉक में होती है। एक ब्लॉक में रात दस से सुबह पांच बजे तथा दूसरे में रात 11 से सुबह 6 बजे तक। दिन के दो ब्लॉक में किसानों को सुबह 6 से दोपहर 12 व दोपहर 12 से शाम 6 बजे तक बिजली मिल रही है। जिन गांवों में रात को बिजली मिलती है, वहां के ग्रामीण रात खेतों में काट रहे हैं। वहीं विद्युत निगम के कनिष्ठ अभियंता प्रमोद यादव ने बताया कि दिन में बिजली देने का निर्णय सरकार कर सकती है।
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बस अलाव का सहारा सर्द रात में सिंचाई करने से अक्सर किसानों की तबीयत बिगड़ जाती है। कुंदनपुर के किसान बलराम मेघवाल ने बताया कि बिजली आने की आस में पूरी रात खेत में ही गुजारनी पड़ती है। सर्दी से बचाव के लिए किसान पूरी रात टापरियों के आसपास अलाव जलाकर बैठे रहते हैं। सभी क्यारियों में पानी बराबर पहुंचे इसके लिए किसानों को कई बार नंगे पैर पानी के बीच खेतों में घूमकर क्यारियों को सही करना पड़ता है। जंगली जानवरों के साथ जहरीले कीड़ों का भी डर रहता है।
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पड़ सकती है जान पर भारी मोईकलां क्षेत्र के कमोलर, दीगोद, उमरदा व बपावर में 33 केवी जीएसएस से एक-एक फीडर पर रात 11 से सुबह 6 बजे तक बिजली दी जा रही है। किसान मुकेश कुमार सुमन, गणेश सुमन, लीलाधर नागर कहना है कि रात को बिजली आपूर्ति जान पर भारी पड़ सकती है। जहरीले कीड़ों का भय रहता है। भारतीय किसान संघ के जिला संयोजक रमेशचन्द नागर ने कहा कि समस्या से सरकार को अवगत करवा चुके लेकिन समाधान नहीं हो रहा।
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जहरीले जीव-जन्तुओं का खतरा मोड़क स्टेशन क्षेत्र में रात दस से सवेरे पांच बजे तक थ्री फेस बिजली आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में किसानों को पूरी रात सर्दी में फसलों में सिंचाई करनी पड़ रही है। मानपुरा के किसान दुर्गालाल मेरोठा, जुगराज गुर्जर, दौलत धाकड़ मोड़क, मुकेश अहीर तेल्याखेड़ी आदि ने बताया कि रात में खेतों में जहरीले जीव-जन्तुओं का खतरा रहता है।
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परेशानी ही परेशानी अयाना तथा लुहावद में स्थित 33 केवी सबस्टेशन से करीब तीन दर्जन से अधिक गांव जुड़े हैं। इन स्टेशनों पर करीब सात फीडरों पर रोटेशन के अनुसार किसानों को छह-छह घण्टे बिजली दी जा रही है। किसानों ने बताया कि रात को सर्दी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कैथून के किसानों की सुनें तो सर्द रात में किसानों को कंपकंपाते हुए खेतों में पाणत करने की मजबूरी है। भाण्डाहेड़ा के जयप्रकाश मालव ने बताया कि उन्हें रात में ही पाणत करने के लिए जाना पड़ता है। रेलगांव के उपसरपंच गिरिराज पारेता ने बताया कि रातभर पानी में रहना किसी यन्त्रणा से कम नहीं।
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अवगत कराया, नहीं हुआ समाधान इटावा क्षेत्र में किसानों को दिन में बिजली नहीं मिलने से रात में नलकूप से सिंचाई करनी पड़ रही है। यहां चार ब्लॉक में विद्युत आपूर्ति जा रही है। एेसे में कड़ाके की सर्दी में किसान रतजगा कर फसलों को सींच रहे हैं। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को भी समस्या से अवगत कराया लेकिन समाधान नहीं हुआ।