कोटा

electric vehicles: कैसे घटेगा कार्बन, बढ़ नहीं रहे इलेक्ट्रिक वाहन

electric vehicles : चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन न होने से कोटा शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है। टू—व्हीलर तो फिर भी बिक रहे हैं लेकिन कारों की संख्या देखें तो चार साल में सिर्फ 13 कारें ही रजिस्टर हुई हैं

कोटाJul 15, 2022 / 12:33 am

pankaj shrivastava

electric vehicles are not enough in kota city ,electric vehicles

पंकज श्रीवास्तव
कोटा. पिछले एक वर्ष में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर देश में चर्चा का माहौल है। एक ही वर्ष में कितनी ही कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल लाकर ऑटोमोबाइल सेक्टर में खलबली पैदा कर चुके हैं। ई— रिक्शा और इलेक्ट्रिक टू— व्हीलर के बाद इलेक्ट्रिक कारें आ चुकी हैं। बेंगलूरु और पूना जैसे शहरों में सिटी परिवहन के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसें भी शुमार हो चुकी हैं, लेकिन एजुकेशन सिटी कोटा में अभी इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर उतना उत्साह नजर नहीं आ रहा। पिछले तीन साल के रजिस्ट्रेशन के आंकड़े बताते हैं कि यहां अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल का वो क्रेज नहीं हैै, जो अन्य बड़े शहरों में देखा जा रहा है। यहां 2019 से अब तक मात्र 1220 इलेक्ट्रिक टू— व्हीलर रजिस्टर हुए, जबकि पेट्रोल व डीजल के वाहनों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा है। इसी दौरान इन वाहनों की संख्या 70 हजार से ज्यादा है। इलेक्ट्रिक कारें तो महज 13 ही रजिस्टर हुई हैं। इसका एक प्रमुख कारण शहर में चार्जिंग स्टेशनों का न होना है।
क्यों जरूरी है इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ना
1. इकोनॉमिक हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल – अभी तक जो कंपनियां अच्छे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में लाई हैं, उनका दावा है कि एक चार्ज में स्कूटर- 90 से 140 किमी तक चल जाता है। एक बार फुल चार्जिंग पर 3 से 4 यूनिट खर्च होती हैं। फुल चार्जिंग के लिए औसत 4 से 5 घंटे का समय लग जाता है। पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में खर्च काफी कम आता है।
2. शहरों में प्रदूषण की स्थिति खतरनाक मानकों तक पहुंच रही है। यदि शहरों को कार्बन नेगेटिव करना है तो इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। ये सिर्फ टू व्हीलर से नहीं होगा। सिटी परिवहन में भी ई-रिक्शा और बसों की संख्या बढ़ानी होगी।
जरूरी हैं चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सेंटर
इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से नहीं बढ़ने का सबसे बड़ा कारण चार्जिंग की चिंता है। इसके लिए शहर में चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सेंटर बनाए जाने जरूरी हैं। चार्जिंग स्टेशन तो सार्वजनिक महत्व की हर जगह पर होने चाहिए। इसके अलावा पेट्रोल पंप आदि पर उपलब्ध स्थानों पर ये स्टेशन बनाए जा सकते हैं। बैटरी स्वैपिंग सेंटर भी एक बेहतर विकल्प है। यहां पुरानी बैटरी चार्जिंग पर लगाकर फुल चार्ज बैटरी वाहन में लगा सकते हैं। इसके लिए अलग अलग चार्ज भी निर्धारित किए जाते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए पहले ये सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध हों।
शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कोटा स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल है। चार्जिंग पाइंट की सुविधा होनी चाहिए। प्रमुख जगहों पर ऐसी व्यवस्था के लिए नगर विकास न्यास और निगम के अधिकारियों से चर्चा करेंगे।
-राजीव अग्रवाल, महापौर

ई-व्हीकल का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए कोटा जैसे शहर में भी चार्जिंग स्टेशन बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
पंकज कुमार, प्रतिनिधि-व्हीकल विक्रेता फर्म

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