क्यों जरूरी है इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ना
1. इकोनॉमिक हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल – अभी तक जो कंपनियां अच्छे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में लाई हैं, उनका दावा है कि एक चार्ज में स्कूटर- 90 से 140 किमी तक चल जाता है। एक बार फुल चार्जिंग पर 3 से 4 यूनिट खर्च होती हैं। फुल चार्जिंग के लिए औसत 4 से 5 घंटे का समय लग जाता है। पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में खर्च काफी कम आता है।
2. शहरों में प्रदूषण की स्थिति खतरनाक मानकों तक पहुंच रही है। यदि शहरों को कार्बन नेगेटिव करना है तो इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। ये सिर्फ टू व्हीलर से नहीं होगा। सिटी परिवहन में भी ई-रिक्शा और बसों की संख्या बढ़ानी होगी।
1. इकोनॉमिक हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल – अभी तक जो कंपनियां अच्छे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में लाई हैं, उनका दावा है कि एक चार्ज में स्कूटर- 90 से 140 किमी तक चल जाता है। एक बार फुल चार्जिंग पर 3 से 4 यूनिट खर्च होती हैं। फुल चार्जिंग के लिए औसत 4 से 5 घंटे का समय लग जाता है। पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में खर्च काफी कम आता है।
2. शहरों में प्रदूषण की स्थिति खतरनाक मानकों तक पहुंच रही है। यदि शहरों को कार्बन नेगेटिव करना है तो इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। ये सिर्फ टू व्हीलर से नहीं होगा। सिटी परिवहन में भी ई-रिक्शा और बसों की संख्या बढ़ानी होगी।
जरूरी हैं चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सेंटर
इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से नहीं बढ़ने का सबसे बड़ा कारण चार्जिंग की चिंता है। इसके लिए शहर में चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सेंटर बनाए जाने जरूरी हैं। चार्जिंग स्टेशन तो सार्वजनिक महत्व की हर जगह पर होने चाहिए। इसके अलावा पेट्रोल पंप आदि पर उपलब्ध स्थानों पर ये स्टेशन बनाए जा सकते हैं। बैटरी स्वैपिंग सेंटर भी एक बेहतर विकल्प है। यहां पुरानी बैटरी चार्जिंग पर लगाकर फुल चार्ज बैटरी वाहन में लगा सकते हैं। इसके लिए अलग अलग चार्ज भी निर्धारित किए जाते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए पहले ये सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध हों।
इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से नहीं बढ़ने का सबसे बड़ा कारण चार्जिंग की चिंता है। इसके लिए शहर में चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग सेंटर बनाए जाने जरूरी हैं। चार्जिंग स्टेशन तो सार्वजनिक महत्व की हर जगह पर होने चाहिए। इसके अलावा पेट्रोल पंप आदि पर उपलब्ध स्थानों पर ये स्टेशन बनाए जा सकते हैं। बैटरी स्वैपिंग सेंटर भी एक बेहतर विकल्प है। यहां पुरानी बैटरी चार्जिंग पर लगाकर फुल चार्ज बैटरी वाहन में लगा सकते हैं। इसके लिए अलग अलग चार्ज भी निर्धारित किए जाते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों में दिलचस्पी बढ़ाने के लिए पहले ये सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध हों।
शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कोटा स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल है। चार्जिंग पाइंट की सुविधा होनी चाहिए। प्रमुख जगहों पर ऐसी व्यवस्था के लिए नगर विकास न्यास और निगम के अधिकारियों से चर्चा करेंगे।
-राजीव अग्रवाल, महापौर
—
ई-व्हीकल का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए कोटा जैसे शहर में भी चार्जिंग स्टेशन बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
पंकज कुमार, प्रतिनिधि-व्हीकल विक्रेता फर्म
-राजीव अग्रवाल, महापौर
—
ई-व्हीकल का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए कोटा जैसे शहर में भी चार्जिंग स्टेशन बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
पंकज कुमार, प्रतिनिधि-व्हीकल विक्रेता फर्म