इस ‘इंडस्ट्री’ से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े डेढ़ लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए। अब कोचिंग से लेकर हॉस्टल ही नहीं, बल्कि प्रशासन और पुलिस तक सभी लोग बच्चों को कोटा बुलाने के लिए साझा नवाचार कर रहे हैं। वर्तमान में यहां पढ़ रहे स्टूडेंट्स अच्छा संदेश लेकर जाए, इसके लिए हर स्तर पर उनकी ‘मान-मनुहार’ कर बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं। ग्राउंड से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म तक नेगेटिविटी को दूर कर सकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है।
बच्चे कम आने के कारण कई कोचिंग संस्थानों ने बाकायदा सर्वे कर इस साल बच्चे कम आने के कारणों की तलाश की। दो-तीन काेचिंग की ओर से करवाए गए ऑनलाइन और ऑफलाइन सर्वे के नतीजे लगभग एक जैसे ही मिले। करीब 40 फीसदी लोगों ने कहा कि कोटा महंगा शहर है, 35 फीसदी लोग बोले-सुसाइड से भय का माहौल है।
वहीं 20 प्रतिशत पेरेेंट्स ने कहा कि अब घर के पास ही कोचिंग सुविधा मिल रही है। पांच फीसदी लोगों ने अन्य कारण गिनाए। फिर इन नतीजों की रियलिटी जानी तो पता चला कि यह महज ‘धारणा’ बन गई है। न तो यहां इतनी महंगाई है और स्टूडेंट सुसाइड के मामलों में तो कोटा की बात छोड़ें, राजस्थान ही देश में 10वें पायदान पर हैं।
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यह हो रहे नवाचार, ताकि कोटा आने का बने विचार
– कोचिंग में फन एक्टिविटी से लेकर चम्बल रिवर फ्रंट और सिटी पार्क तक में करवाई जा रही आउटिंग।– बीच में कोचिंग छोड़ने के लिए बनाई फी रिफंड पॉलिसी।
– कोचिंग में स्कॉलरशिप के जरिए अफॉर्डेबल फी स्ट्रक्चर।
– कामयाब कोटा कैम्पेन के तहत कलक्टर-एसपी कोचिंग में पहुंच कर रहे बच्चों से नियमित संवाद।
– कोटा-सेफ्टी ऑफ स्टूडेंट्स (के-एसओएस) एप में पैनिक बटन दबाते ही बच्चों को मिल रही त्वरित मदद।
– जिला प्रशासन खुद तैयार करवा रहा स्टूडेंट्स की यूनिक आईडी।
– हॉस्टल-पीजी वाले सोशल मीडिया कैम्पेन चला बता रहे सेफ एंड अफॉर्डेबल कोटा की तस्वीर।
– होटल और पर्यटन व्यवसायी स्टूडेंट टूरिज्म को कर रहे प्रमोट।
सुखद यह कि पढ़ाई पर कोई सवाल नहीं उठा
पिछले साल कई स्तर पर कोटा की छवि प्रभावित हुई, लेकिन यहां की पढ़ाई और परिणाम पर कोई सवाल नहीं उठा। हर साल कोटा आउटस्टेंडिंग रिजल्ट दे रहा है। टॉपर्स बढ़ रहे हैं। कोचिंग में तो इनोवेशन के जरिए बच्चों को और बेहतर ‘डोज’ दी जा रही है। यहां सब्जेक्ट ही नहीं, टॉपिक एक्सपर्ट टीचर तैयार किए जा रहे हैं। जो संबंधित टॉपिक को बच्चों को बेहतर तरीके से समझा रहे हैं।हमारा मकसद…बच्चों को कोटा भेज निश्चिंत रहें पेरेंट्स
हम कोशिश कर रहे हैं कि पेरेंट्स बच्चों को कोटा भेजकर निश्चिंत महसूस करें। इसके लिए सामूहिक प्रयासों से तैयार स्टूडेंट फ्रेंडली ईको सिस्टम को और बेहतर बना रहे हैं। के-एसओएस एप, कोचिंग स्टूडेंट्स से संवाद, शिकायतों के निवारण के लिए डेडिकेटेड सेल, बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए स्पेशल टीम जैसे कई नवाचार किए हैं।-डॉ. अमृता दुहन, सिटी एसपी कोटा